is Kavyansh ko padh kar Puche Gaye prashna Uttar Chote Chote dena
Hasti chadiye gyan ko Sahaj. dulichan Dhari
Swan Roop Sansar Hai bhukhand De Jak ma Re
1. Kavi Ne Sansar ko Kaisa Mana Hai
2. Kavi ki Drishti Mein Gyan Ka Kaisa roop hai
3. bokhand De jak mari ka bhav spasht kijiye
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हस्ती चढिये ज्ञान का, सहज दुलिचा डार।
स्वान रूप संसार है, भूंकन दे झकमार।
1. Kavi Ne Sansar ko Kaisa Mana Hai
कवि ने संसार को कुत्ते के समान माना है
2. Kavi ki Drishti Mein Gyan Ka Kaisa roop hai
कवि की दृष्टि में 'ज्ञान' उस हाथी के समान है जिसे राह चलता देखकर कुत्ते भौंकते हैं .
3. bokhand De jak mari ka bhav spasht kijiye
हाथी को राह चलता देखकर कुत्ते भौंकते हैं लेकिन वे उसका कुछ बिगाड़ नहीं सकते हैं और केवल अपना समय बरबाद करते हैं। इसी तरह किसी व्यक्ति की ज्ञान प्राप्ति पर दुनिया वाले हँसते हैं या बातें बनाते हैं तो उन पर ध्यान न देकर उसे अपना काम करते रहना चाहिए क्योंकि थोड़ी देर बाद वे सभी झक मारकर चुप हो जाएँगे।
Explanation:
amaya69:
thanks my first start to give me this answer very urgent please
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