Hindi, asked by aditidubey98, 5 months ago

Is there anyone having hindi essay book.....if yes. ....then please provide me the following essays:
1. saikal ki aatmakatha
2. deepak (diya) ki aatmakatha
3. yadi ainak na hota toh
4.yadi meri lottery lag jaye. ...
5. yadi mai doctor hota toh
6 yadi mobile na hota toh
7. Jan seva, ishvar seva
8.mera priya gayak
9. mera priya abhineta (actor )
10. mera priya lekhak

please send images if you have this essays in your essay book if you do not have essay book and if you know the answer please write at least 5 paragraph on each topic​

Answers

Answered by koushlyadevimourya
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Answer:

प्रस्तावना

आर. के. नारायन भारतीय गद्यकारो में मेरे फेवरेट है। ये इकलौते ऐसे नॉवलिस्ट थे जो अपने समय में इंग्लिश में अपने नॉवेल लिखा करते थे। इनकी कहानी को गढ़ने की कला अतुलनीय थी। जिस प्रकार ये अपने किरदारों के द्वारा लोगो के मन मेँ उतर जाते थे, वैसा अन्यत्र मिलना मुश्किल है।

प्रारंभिक जीवन और कार्य

नारायन जी का जन्म 1906 ईसवी में मद्रास के एक छोटे से गाँव में हिन्दू ब्राह्मण परिवार मे हुआ था। इनका पूरा नाम राशिपुरम् कृष्णास्वामी अय्यर नारायणस्वामी था। इन्हें बचपन से ही पढ़ने में बहुत रूचि थी। इंग्लिश साहित्य में आपका झुकाव ज्यादा था। प्ररंभिक शिक्षा के लिए इन्हे लुथरन मिशनरी स्कूल भेजा गया, जहाँ नारायन जी के साथ भेदभाव किया जाता था, क्योंकि बाकी बच्चे क्रिश्चन थे। जिसका उनके ऊपर गहरा प्रभाव पड़ा।

अपने करियर की शुरूआत उन्होने शिक्षक के रूप में की। शीघ्र ही उन्होने लिखना भी प्रारंभ कर दिया। आर. के. नारायन का ‘मालगुड़ी डेज’ के नाम से धारावाहिक आता था जो बचपन में मुझे बेहद पसंद था।महान उपन्यासकार

उनके सारे उपन्यास बहुत ही अच्छे है। उन सबमें मुझे उनका ‘स्वामी एंड फ्रेंड्स’ खासा पसंद है। इसे पढ़कर लगता है, मानो सारे पात्र हमारे आस-पास के ही है। ‘द डार्क रूम’, ‘द वेण्डर ऑफ स्वीट्स’, ‘मालगुडी डेज’, ‘द इंग्लिश टीचर’, ‘मिस्टर संपथ’, ‘अ हॉर्स एंड द गोट्स’, ‘द वर्ल्ड ऑफ नागराज’, ‘ग्रांडमदर्स टेल’, ‘अंडर द बनियान ट्री’ इत्यादि उनकी कुछ महान कृतियों में से हैं जिसने उनको साहित्यकारों की अग्रणी श्रेणी में खड़ा कर दिया।

निष्कर्ष

आर. के. नारायन उच्च कोटि के साहित्यकार थे। उनकी सारी रचनाएँ भारत की मिट्टी से जुड़ी है। उनके सभी पात्र भारतीय जनमानस के ही इर्द-गिर्द घूमा करते है। इसीलिए अपने से प्रतीत होते है। एकदम नये-नये कथानक से उनके नॉवेल में चार चाँद लग जाता था। कमाल की कल्पना थी, उनकी। उनके कार्य के लिए उन्हे 1958 में साहित्य अकादमी अवार्ड से भी नवाजा गया। यह श्रृंखला यहीं नही रूकी। सन् 1964 में पद्म भूषण और सन् 2000 में पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया गया।

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