Hindi, asked by nihalkumar80069, 2 months ago

इस
छपाई से पहले भारत में किताबों की प्रतियाँ कैसे तैयार होती थी और उसमें क्या समस्याएँ आती थीं?
पर जानकारी तथा कुछ तत्कालीन पुस्तकों के चित्र एकत्र करें।​

Answers

Answered by Anonymous
7

Answer:

छपाई का सफर

मुद्रण कला का प्रयोग पहली बार चीन में शुरू हुआ, जब 650 ई में भगवान बुद्ध की मूर्ति छापी गई। इतना ही नहीं, चीन की सहस्र् बुद्ध गुफाओं से हीरक सूत्र नामक मिली पुस्तक को ही संसार की पहली मुद्रित पुस्तक माना जाता है। सबसे पहली टाइप मशीन 1041 ई़ में चीन के केपी शैंग ने बनाई थी। चीनी-मिट्टी के बने ये टाइप अच्छी छपाई नहीं देते थे, इसलिए शैंग ने टीन के टाइप बनाए, लेकिन वो भी गीली स्याही पर अच्छा काम नहीं करते थे। फिर वांग चांग ने 1314 ई़ में लकड़ी के टाइप बनाए, जो चीनी भाषा के लिए उपयुक्त थे। लेकिन इसके बावजूद वांग चांग को टाइप के आविष्कार का श्रेय नहीं मिला, क्योंकि वांग चांग द्वारा बनाए गए टाइप शब्दों के थे, वर्णो के नहीं। इसीलिए अलग-अलग वर्णों के टाइप बनाने का श्रेय अंतत: जर्मन के जॉन गुटनबर्ग को मिला। गुटनबर्ग ने इन टाइपों का आविष्कार 1440 से 1450 के बीच किया और 1456 ई़ में 42 लाइनों वाली बाइबिल छापी। इस बाइबिल को ही यूरोप की पहली मुद्रित पुस्तक माना जाता है। बाद में औद्योगिक क्रांति के फलस्वरूप मुद्रण कला का निरंतर विकास होता चला गया।

Answered by pushpa85chouhan
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sorry in this ,that much answer was not coming that's why I have sended only this much answer...

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