इस फर्नीचर पर हमारे दादा बैठते थे, पिता बैठते थे, चाचा बैठते हैं। उन लोगों को कभी शर्म नहीं आई।”
(क) उपर्युक्त वाक्य का प्रसंग लिखिए । यह किस परिस्थिति में कहा गया है?
(ख) प्रस्तुत कथन के वक्ता तथा श्रोता का परिचय दीजिए।
(ग) उन लोगों को कभी शर्म नहीं आई, यह क्या कहा गया है? इसका क्या आशय है?
(घ) बेला का चरित्र चित्रण कीजिए।
“बड़प्पन बाहर की वस्तु नहीं, बड़प्पन तो मन का होना चाहिए।”
(क) उपर्युक्त वाक्य कौन किससे कह रहा है? प्रस्तुत वाक्य किस परिस्थिति में कहा गया है ?
(ख) वक्ता का श्रोता से क्या सम्बन्ध है ?
(ग) वक्ता की चारित्रिक विशेषताओं का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
(घ) प्रस्तुत पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
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1. प्रियवाक्यप्रदानेन'''''''''
2. गुणेष्वेव हि कर्तव्यः''''''''''''
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