Hindi, asked by neerajjain011976, 8 months ago

इस हुजूम में आगे - आगे चल रहे हैं . सालिम अली । अपने कथों पर , सैलानियों की तरह अपने अंतहीन सफ़र का बोझ उठाए । लेकिन यह सफ़र पिछले तमाम सफ़रों से भिन्न है । भीड़ - भाड़ की जिंदगी और तनाव के माहौल से सालिम अली का यह आखिरी पलायन है । अब तो वो उस वन पक्षी की तरह प्रकृति में विलीन हो रहे हैं , जो जिंदगी का आखिरी गीत गाने के बाद मौत की गोद में जा बसा हो । कोई अपने जिस्म की हरारत और दिल की धड़कन देकर भी उसे लौटाना चाहे तो वह पक्षी अपने सपनों के गीत दोबारा कैसे गा सकेगा !

ANSWER THE FOLLOWING:

क - सालिम अली के अंतिम सफर का वर्णन करिए ।

ख - कौन किसकी तरह किसमें विलीन हो रहा है ?

ग - यह सफर उनके तमाम सफरों से भिन्न कैसे है ?​

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Answered by Anonymous
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Answer:

साँवले सपनों की याद एक व्यक्ति–चित्र है| इसमें प्रसिद्ध पक्षी–प्रेमी सालिम अली के व्यक्तित्व का प्रभावशाली–चित्रण किया गया है –

सालिम अली एक अंतहीन यात्रा –सुनहरे पक्षियों के पंखों पर साँवले सपनों का एक झुंड सवार है | वह मौत की मौन वादी में जा रहा है | सालिम अली उसमें सबसे आगे हैं| वे सैलानियों की तरह पीठ पर बोझा लादे अंतहीन यात्रा पर चल पड़े हैं | इस बार तो वे मानो शहर की भीड़–भरी जिंदगी से आख़िरी बार चले हैं| कोई उन्हें वापस नहीं लौटा सकता | मानो वे कोई पक्षी हों जो मौत की गोद में जा बसे हों|

पक्षी–प्रेमी–सालिम अली इस बात से क्षुब्ध थे कि लोग पक्षियों को आदमी की नज़र से देखते हैं | लोग जंगलों,पहाडों, झरनों को भी आदमी की नज़र से देखते हैं| परंतु कोई आदमी पक्षियों की आवाज़ का मधुर संगीत सुनकर अपने मन में रोमांच का अनुभव नहीं कर सकता |

साँवले सपनों का महत्व–पता नहीं कब कृष्ण ने वृंदावन में रासलीला ,गोपलीला ,माखनलीला,बाँसुरी वादन और वन-विहार किया था ।परंतु आज भी जब हम वृंदावन में यमुना का साँवला जल देखते है तो लगता है कि अभी कोई अचानक आकर बंसी बजाने लगेगा ।संगीत का जादू पूरी वाटिका पर छा जाएगा । वृंदावन कभी कृष्ण के बाँसुरी के जादू से खाली नहीं हुआ।

सालिम अली का व्यक्तित्व –सालिम अली कमज़ोर कायावाले व्यक्ति थे । सौ वर्ष के होने में कुछ दिन शेष थे ।उनकी नज़रों में दूर तक फैली धरती और आकाश जैसा जादू था प्रकृति में एक हँसता खेलता रहस्य पसरा दिखाई देता था।

सालिम अली की प्रधानमंत्री से भेंट– सालिम अली की पर्यावरण सुरक्षा संबंधी बाते सुनकर प्रधानमंत्री चरणसिंह भावुक हो उठे थे ।

लारेन्स का संस्मरण–सालिम अली की आत्मकथा का नाम है ‘फाल आफ़ द स्परो’ ।

डी एच लारेन्स की मृत्यु के बाद उनकी पत्नी फ़्रीडा लारेन्स ने कहा है कि मेरे पति के बारे में मुझसे ज्यादा मेरे छत पर बैठनेवाली गौरैया जानती है ।

सालिम अली की प्रेरणा और ऊँचाइयाँ–बचपन में गलती से सालिम अली के हाथों से एक गौरैया घायल हो गई थी । उसी दिन से वे पक्षियों की खोज में रुचि लेने लगे ।

Answered by hemlatas441
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हुजूम में सबसे आगे आगे सालिम अली चल रहे है

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