Hindi, asked by Mohit9572550808, 10 months ago

इस कविता का अर्थ क्या है

फूलों से नित हँसना सीखो, भौंरों से नित गाना।
तरु की झुकी डालियों से नित, सीखो शीश झुकाना!

सीख हवा के झोकों से लो, हिलना, जगत हिलाना!
दूध और पानी से सीखो, मिलना और मिलाना!

सूरज की किरणों से सीखो, जगना और जगाना!
लता और पेड़ों से सीखो, सबको गले लगाना!

वर्षा की बूँदों से सीखो, सबसे प्रेम बढ़ाना!
मेहँदी से सीखो सब ही पर, अपना रंग चढ़ाना!

मछली से सीखो स्वदेश के लिए तड़पकर मरना!
पतझड़ के पेड़ों से सीखो, दुख में धीरज धरना!

पृथ्वी से सीखो प्राणी की सच्ची सेवा करना!
दीपक से सीखो, जितना हो सके अँधेरा हरना!

जलधारा से सीखो, आगे जीवन पथ पर बढ़ना!
और धुएँ से सीखो हरदम ऊँचे ही पर चढ़ना!

Answers

Answered by shakiya88
2

may this helpful..

please mark it brainliest..

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Answered by choudharylalima172
2

Answer:

वर्षा की बूँदों से सिखों सबका हृदय जुड़ना

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