Hindi, asked by Anonymous, 10 months ago

इस कविता का भावार्थ लिखें​

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Answered by munnipandey10084
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Explanation:

प्रतापगढ़। ‘जलाओ दीये पर रहे ध्यान इतना, अंधेरा धरा पर कहीं रह न जाए...’। दीप जलाने जा रहे लाखों लोगों को दीवाली पर कवि गोपालदास नीरज की यह पंक्तियां आज भी बड़ी सीख देती हैं। दीपावली पर हर वर्ष दीप जलाए जाते हैं। मगर सही मायने में धरती का अंधेरा मिटने का नाम नहीं ले रहा है। चहुंओर दिन के उजाले में भी कुंठित सोच का अंधेरा विद्यमान है। इस मर्तबा ऐसी विचारधाराओं को दीपावली के दीप में जलाने का संकल्प हर एक लेना होगा। तभी सही मायने में रामराज व इस पर्व को मनाने का उद्देश्य सफलता का जामा पहन सकेगा।

त्योहार कोई भी हो, उससे सर्व समाज को कुछ-न-कुछ सीखने को मिलता है। वह सीख किसी धर्म या मजहब व समुदाय के लिए नहीं सब के लिए होती है। दीपावली पर्व का भी एक मकसद है। हर साल दीपावली पर लाखों लोग दीप जला कर धरती के अंधेरे को दूर करने का प्रयत्न करते हैं। फिर भी हत्या, लूट, बलात्कार, भुखमरी का अंधकार दूर नहीं हो रहा। इन हालात में प्रभु राम के स्वागत में मनाए जाने वाले दीपावली पर्व का मकसद सफल नहीं हो सकता है। समाज सेवी रोशन लाल उमरवैश्य कहते हैं कि दीप जलाने जा रहे लोगों को कवि नीरज की पंक्तियों पर ध्यान देना होगा। दीप की रोशनी में तमाम अपराधों का अंधियारा खत्म होना चाहिए। गुनाह का अंधेरा धरती से मिटने पर ही सही मायने में भगवान श्रीराम का स्वागत होगा। समाज सेवी व गड़वारा इंटर कॉलेज के शिक्षक लालजी तिवारी का कहना है कि गुनाहों से हर बस्ती में अंधेरा ही अंधेरा है, जला रहे हो दिया तो उजाला होना चाहिए। जब अपराध खत्म होंगे तो धरती पर राम राज कायम हो जाएगा।

‘गुनाह वहीं से दाखिल होते हैं फितरत में, जवानी जहां से ऐतबार खोती है।’ वह पंक्तियां युवाओं को बड़ी सीख देती हैं। पं. राम कृष्ण मिश्र कहते हैं कि प्रभु श्रीराम को खुद पर विश्वास था। राज पाट के लिए यदि भाई भरत से युद्ध करते से गुनाह उनके जीवन में दाखिल हो जाता। सक्षम होने के बावजूद विषम परिस्थियों में भी सत्ता के लिए कभी जंग नहीं की। 14 वर्ष जंगलों में गुजारने के बाद वह घर लौटे तो उनके स्वागत में हर कदम पर दीप जल उठे। इसीलिए दीवाली संघर्ष, धैर्य और सफलता का प्रतीक भी मानी जाती है।

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