Hindi, asked by ritvikh2, 6 months ago

इस कविता का मूल भाव स्पष्ट करें[[ek phool ki chah

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Answered by bhatiamona
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एक फूल चाह कविता का मूल भाव स्पष्ट करें :

एक फूल की चाह कविता सियारामशरण गुप्त द्वारा लिखी गई है | कविता का केन्द्रीय मूल भाव  समाज में फैली छुआ-छूत जैसी प्रथा के बारे में बताया है| कविता में बताया किस प्रकार कवि को देवी माता के मंदिर में फूल लेने के लिए जाता है और  लोग उसे अछूत और पापी कहते है और उसे मारते है|  सात दिन के लिए कारावास में डाल देते है|

कवि की पुत्री को उस समय फैली हुई महामारी की चपेट में आ गई थी | पिता ने पुत्री का बहुत इलाज करवाया ,उसको बचाने के लिए बहुत प्रयास किए|

एक दिन वह बुखार से तड़पते हुए अपने पिता से देवी माँ के प्रसाद का एक फूल उसे लाकर देने के लिए बोलती है। कवि मंदिर चला जाता है लेकिन वहाँ लोग उसे पापी और अछूत कहने लगते है| उसे मारते है| उसे 7 दिन के लिए कारावास में डाल देते है| जब वह वापिस आता है तब वह देखता उसकी बेटी उससे मिलने नहीं आई| उसकी बेटी मर चुकी थी| वह अपनी बेटी के वियोग में रोता रहा|      

     

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