२. इस कविता को पकार शिललिखित
परार लिक्षि।
भी भी दया र विडियों की चौपच तिनका
और वह उड़ने की तैयारी।
अभी भी हारती हुई पत्ती शामने को
Boerer एका
धीभीपीडी रटेशन पर
अभी भी एक रेलगाडी जाती है गतव्य तक
जहाँ कोई कर रहा होगा प्रतीक्षा
अभी भी कहता है कोई किसी को
जल्दी आ जाओ कि अब
सूरज डूबने का वक्त हो गया
अभी कहा जाता है
उस कथा का आखिरी हिस्सा
जो बूढी नानी सुना रही सदियों से
दुनिया के तमाम बच्चों को
अभी आती है एक बस
अंतरिक्ष के पार की दुनिया से
लाएगी बचे हुए लोगों की खबरा नहीं,
यह सबसे कठिन समय नहीं।
अभी आती है एक बस
(क) 'यह कठिन समय नहीं है?' यह बताने के लिए कविता में कौन-कौन से तर्क प्रस्तुत किए गए हैं? स्पष्ट
कीजिए
(ख) चिड़िया चोच में तिनका दवाकर उड़ने की तैयारी में क्यों है? वह तिनकों का क्या करती होगी?
लिखिए
(ग) कविता में कई बार 'अभी भी' का प्रयोग करके बातें रखी गई हैं, अभी भी का प्रयोग करते हुए तीन
वाक्य बनाइए और देखिए उनमें लगातार, निरंतर, बिना रुके चलनेवाले किसी कार्य का भाव निकल
रहा है या नहीं
Answers
Answer:
इस कविता में कवि ने विषम परिस्थितियों में भी हार न मानने का संदेश दिया है। कहा जाता है कि जब सारे रास्ते बंद हो गये से लगते हैं तब भी कोई न कोई रास्ता बचा रहता है। इस कविता में कवि ने साधारण से उदाहरणों से यह बताने की कोशिश की है कि उम्मीद की किरण हमेशा बची रहती है। भयंकर तूफान के बाद की तबाही के बाद भी चिड़िया इतना हिम्मत करती है कि तिनके को चोंच में दबाकर उड़ जाती है ताकि नये सिरे से अपना घोसला बना सके। पतझड़ के बाद भी ऐसा नहीं है कि जंगल खाली हो गया है। अभी भी कोई न कोई है जो झरती हुई पत्ती को उठाकर उसमें कुछ उपयोगिता तलाश लेगा।
वक्त कितना भी खराब हो जाये लेकिन स्टेशन पर लोगों की भीड़ मिल ही जाती है, क्योंकि उन्हें विश्वास होता है कि कोई न कोई रेलगाड़ी उन्हें अपने मंजिल तक जरूर पहुँचाएगी। उस मंजिल पर जहाँ कोई उनका इंतजार कर रहा होगा। कोई यह आवाज लगा रहा होगा कि जल्दी आ जाओ अब सूरज डूबने का वक्त हो गया है। जब बच्चे बाहर खेल रहे होते हैं तो उनकी माँ सूरज ढ़लने के वक्त उन्हें आवाज लगाकर जरूर बुलाती है। जब कोई व्यक्ति बाहर किसी काम के लिए निकला होता है तो उसके घरवाले उसका इंतजार जरूर करते हैं। इस इंतजार में मानव रिश्तों की मजबूत बुनियाद होती है जो किसी भी व्यक्ति को रोज काम पर निकलने और फिर घर लौटने के लिए प्रचुर मनोबल देती है।
ब लगता है कि सबकुछ खत्म होने वाला है तो वह वक्त किसी कहानी या सिनेमा के क्लाइमैक्स की तरह होता है। यही वह समय होता है जब किसी कहानी का आखिरी हिस्सा बयाँ किया जाता है। जब लगता है कि खलनायक सबको परास्त करके एक विजयी अट्टहास लगायेगा तभी नायक एक झटके में बाजी पलट देता है और बुराई पर अच्छाई की विजय होती है। इसलिए हमें कभी भी हिम्मत नहीं हारनी चाहिए। कहा जाता है कि हर काली रात के बाद सबेरा ही होता है।