इस कविता में हिमालय के बारे में क्या बताया गया था
Answers
प्रस्तुत काव्यांश गोपालसिंह 'नेपाली' द्वारा रचित कविता 'हिमालय और हम' से लिया गया है। इस काव्यांश में कवि ने बताया है कि हिमालय पर जिस प्रकार उदय और संध्या की लालिमा समान रूप से दिखाई देती है, उसी प्रकार हम भारतीय भी दुख और सुख को समान भाव से ग्रहण करते हैं।
Answer:
Explanation:प्रस्तुत काव्यखण्ड गोपालसिंह ‘नेपाली’ द्वारा रचित कविता ‘हिमालय और हम’ से लिया गया है। कवि ने इस कविता में हिमालय और भारतवासियों की समान विशेषताओं पर प्रकाश डाला है। इस काव्यखण्ड में पर्वतराज हिमालय और भारतवासियों के अटूट संबंधों की अभिव्यक्ति दी गई है।
व्याख्या:
हिमालय पर्वत और भारतीयों के संबंधों का वर्णन करते हुए कवि कहता है कि पर्वतों के राजा हिमालय का भारतीयों के साथ कुछ ऐसा ही संबंध है, हिमालय और भारतीयों का परस्पर अटूट रिश्ता है। इसकी ऊँची चोटी एवरेस्ट सारी पृथ्वी पर सबसे ऊँची है। यह संसार की सबसे ऊँची चोटी है इसीलिए जिस प्रकार व्यक्ति के सर पर ताज (मुकुट) सुशोभित होता है, उसी प्रकार धरती पर हिमालय की चोटी. मुकुट की भाँति शोभायमान है। पर्वत और पहाड़ों से भरी इस पृथ्वी पर केवल हिमालय ही पर्वतों का राजा है।
हिमालय पर्वत की ऊँचाई बहुत अधिक होने के कारण ऐसा लगता है मानो उसका सर आसमान को छू रहा है और उसके चरण पाताल की गहराई में समाए हुए हैं। भाव यह है कि हिमालय पर्वत आकाश-पाताल दोनों की सीमाओं को अपने में समेटे हुए है। हिमालय पर्वत का मन गंगा के बचपन की भाँति पवित्र और निर्मल है। पवित्र गंगा का उद्गम ही हिमालय से हुआ है।
हिमालय पर्वत का तन विभिन्न रंग और आकार वाली वनस्पतियों से ढका हुआ है। मुख अत्यधिक ऊँचाई पर होने के कारण वनस्पतियों से रहित है और केवल बर्फ से ढका हुआ है। जो भी हिमालय के आश्रय में आता है उसमें भी हिमालय की भाँति दृढ़ता – और विशालता आ जाती है। इसी कारण वह भी अपना मस्तक किसी के सामने नहीं झुकाता। ऐसे पर्वतराज हिमालय से हम भारतीयों का रिश्ता भी कुछ ऐसी ही है।
विशेष:
हिमालय को पर्वतराज और धरती का ताज कहकर उसकी महानता का वर्णन किया गया है।
हिमालय से ही गंगा का उद्गम हुआ है और हिमालय के समान ही भारतवासी भी अडिग और अटल हैं।
‘वरन-वरन’ में पुनरुक्तिप्रकाश अलंकार है।
काव्यांश में मानवीकरण अलंकार है।