History, asked by anujbad4, 1 month ago

इस्लामी शासकों के अधीन, संरक्षित श्रेणी को कौन-सा कर देना पड़ता था?​

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Answered by lohitjinaga
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Answer:

इस्लामी शासकों के अधीन, संरक्षित श्रेणी को कौन-सा कर देना पड़ता था?

Answered by bhatiamona
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इस्लामी शासकों के अधीन, संरक्षित श्रेणी को कौन-सा कर देना पड़ता था?​

इस्लामी शासकों के अधीन, संरक्षित श्रेणी को 'जाजिया कर' कर देना पड़ता था।

व्याख्या :

इस्लामी शासकों के अधीन संरक्षक श्रेणी को जजिया कर देना पड़ता था। जजिया कर एक तरह का धार्मिक कर था, जो भारत में शासन करने वाले विभिन्न इस्लामी शासकों ने अपने राज्य में रह रही गैर मुस्लिम जनता पर लगाया था। यह कर किसी मुस्लिम राज्य में रहने वाली गैस गैर मुस्लिम जनता जिन्हें काफिर कहा जाता था, उससे वसूल किया जाता था।

भारत में जजिया कर लगाने की शुरुआत मोहम्मद बिन कासिम ने की। उसने सिंध प्रांत में अपने शासन के दौरान देवल में जजिया कर लगाया। उसके बाद दिल्ली सल्तनत के सुल्तान फिरोज़ शाह तुगलक ने भी जजिया कर लगाया। अलाउद्दीन खिलजी, सिकंदर लोधी, शेरशाह जैसे अनेक शासक थे जिन्होंने जजिया कर लगाया।

मुगल शासकों ने भी अपने-अपने समय में जजिया कर लगाया। अकबर जजिया कर को समाप्त करने वाला पहला मुगल शासक था। जिसने 1564 में जजिया कर को समाप्त किया लेकिन 1567 में लगा दिया। बाद में उसने को समाप्त कर दिया। औरंगजेब ने भी अपने शासनकाल में जाजिया कर को कड़ाई से लगाया।

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