इस्लाम धर्म के सबसे पहले केरल में आने के क्या कारण हो सकते है
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भारत और अरब देशों के बीच पैगंबर मोहम्मद के वक्त से भी पहले से काफी व्यापार होता था. यहूदी और ईसाइयों से उलट, अरब के लोग पहले ही पश्चिमी घाट पर आकर बस चुके थे. ऐसे प्रमाण मिलते हैं कि 8वीं और 9वीं शताब्दी में ही अरब मूल के लोग बड़ी संख्या में यहां आकर बस चुके थे.
केरल और मुस्लिम देशों के बीच व्यापार बढ़ने के साथ ही सुलेमान नाम के पहले मुस्लिम मर्चेंट ने 851वीं शताब्दी में केरल का दौरा किया था. इसके बाद कई अरब मुस्लिम केरल आए और मालाबार तट पर बसे. यहां पर कालीकट के राजा ने उनका स्वागत किया. राजा ने इन लोगों को स्थानीय महिलाओं से शादी के लिए प्रेरित किया और सैन्य बलों में सेवा देने के लिए भी तैयार किया. यहां चेर राजवंश के चेरामन पेरुमल का जिक्र करना भी आवश्यक हो जाता है जिन्होंने न सिर्फ इस्लाम धर्म स्वीकार किया बल्कि मक्का भी गए. चेरामन जुमा मस्जिद को ही भारत की पहली मस्जिद कहा जाता है, ये कोडुंगलूर तालुक में स्थित है. मालाबार के मुस्लिमों में अरब मुस्लिम मलिक दिनार के प्रति सम्मान का भाव था. मलिक दिनार केरल में इस्लाम का प्रचार करने आया. उसने पहली मस्जिद करेंगनोर में बनाई. इसके बाद उसने क्विलोन, मडाई, कासरगौड, श्रीकांतपुरम, धर्मपट्टनम और चालियम में मस्जिदों का निर्माण किया
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