इस मे अलंकार बताओ .......चरन धरत चिंता करत, चितवत चारों ओर। सुबरन को खोजत फिरत, कवि, व्यभिचारी, चोर।।
Answers
चरन धरत चिंता करत, चितवत चारों ओर। सुबरन को खोजत फिरत, कवि, व्यभिचारी, चोर।।
प्रश्न में दी गई पंक्ति का नाम श्लेष अलंकार है | इस दोहे में सुबरन शब्द के तीन अर्थ है| कवि 'सुबरन' अर्थात् अच्छे शब्द, व्यभिचारी 'सुबरन' अर्थात् अच्छा रूप-रंग और चोर भी 'सुबरन' अर्थात् स्वर्ण ढूंढ रहा है।
श्लेष अलंकार: श्लेष अलंकार में जहाँ एक ही शब्द के अनेक अर्थ निकलते हो वो श्लेष अलंकार होता है ।
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Explanation:
चरन धरत चिंता करत, चितवत चारों ओर।
सुबरन को खोजत फिरत, कवि, व्यभिचारी, चोर।।
-उपर्युक्त दोहे की दूसरी पंक्ति में सुबरन का प्रयोग किया गया है जिसे कवि, व्यभिचारी, चोर - तीनों ढूंढ रहे हैं। इस प्रकार सुबरन के यहां तीन अर्थ हैं
(१) कवि सुबरन अर्थात् अच्छे शब्द ;
(२) व्यभिचारी सुबरन अर्थात् अच्छा रूप-रंग और
(३) चोर भी सुबरन अर्थात् स्वर्ण ढूंढ रहा है।
अतः यहां श्लेष अलंकार है।