Hindi, asked by sumangupta610, 2 days ago

इस पाठ के आधार पर बताइए कि मनुष्य किस तरह पक्षियों के सुखमय जीवन में बाधक है? ​

Answers

Answered by kinghacker
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Explanation:

घटते जंगलों से पक्षियों का जीवन अस्त-व्यस्त होने लगा है। इससे उनकी संख्या में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है। पेड़ों की घटती संख्या से पक्षियों को घरोंदे बनाने के लिए जगह तक नसीब नहीं हो पा रही है। इसके चलते पक्षी अपने घोंसले कहीं बिजली के खंबो पर उलझे तारों में बना रहे हैं, तो कहीं रोड़ लाइटों पर.

टावरों से खतरनाक रेडिएशन वातावरण में फैलती हैं। लोगों को इसी कारण से दूरसंचार सेवाओं का लाभ मिल पाता है, लेकिन जानकारों के अनुसार ये तरंगे पक्षियों के लिए काफी घातक होती हैं। इसका सीधा असर इन पक्षियों पर पड़ता है और उनके लुप्त होने का कारण भी प्राय: यही है। पक्षी मौत के आगोश में समाते जा रहे /148 सिलसिला तेज होता जा रहा है जिस कारण इन पक्षियों की चहचहाहट कम होती जा रही है।

बढ़ते आधुनिक मोबाइल के दौर में व टावरों से निकलने वाली तरंगे इन पक्षियों को लुप्त करने का काम कर रही है। यही नहीं मानव भी इन टावरों से निकलने वाली खतरनाक तरंगों के चलते गंभीर बीमारियों की ओर अग्रसर हो रहा है।

ये हानिकारक तरंगे शरीर की त्वचा के साथ शरीर के अंगों पर भी बुरा प्रभाव डाल रही है तथा पक्षी जैसे कौआ, कोयल, तोते, गोरैया प्रजाति के पक्षी इन तरंगों के प्रभाव के कारण लुप्त होते जा रहे हैं ।

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Answered by souhardya51
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Answer:

घटते जंगलों से पक्षियों का जीवन अस्त-व्यस्त होने लगा है। इससे उनकी संख्या में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है। पेड़ों की घटती संख्या से पक्षियों को घरोंदे बनाने के लिए जगह तक नसीब नहीं हो पा रही है। इसके चलते पक्षी अपने घोंसले कहीं बिजली के खंबो पर उलझे तारों में बना रहे हैं, तो कहीं रोड़ लाइटों पर.

टावरों से खतरनाक रेडिएशन वातावरण में फैलती हैं। लोगों को इसी कारण से दूरसंचार सेवाओं का लाभ मिल पाता है, लेकिन जानकारों के अनुसार ये तरंगे पक्षियों के लिए काफी घातक होती हैं। इसका सीधा असर इन पक्षियों पर पड़ता है और उनके लुप्त होने का कारण भी प्राय: यही है। पक्षी मौत के आगोश में समाते जा रहे /148 सिलसिला तेज होता जा रहा है जिस कारण इन पक्षियों की चहचहाहट कम होती जा रही है।

बढ़ते आधुनिक मोबाइल के दौर में व टावरों से निकलने वाली तरंगे इन पक्षियों को लुप्त करने का काम कर रही है। यही नहीं मानव भी इन टावरों से निकलने वाली खतरनाक तरंगों के चलते गंभीर बीमारियों की ओर अग्रसर हो रहा है।

ये हानिकारक तरंगे शरीर की त्वचा के साथ शरीर के अंगों पर भी बुरा प्रभाव डाल रही है तथा पक्षी जैसे कौआ, कोयल, तोते, गोरैया प्रजाति के पक्षी इन तरंगों के प्रभाव के कारण लुप्त होते जा रहे हैं ।

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