इस पाठ के आधार पर फ़ादर कामिल बुल्के की जो छवि उभरती है उसे अपने शब्दों में लिखिए।
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पाठ के आधार पर फ़ादर कामिल बुल्के की जो छवि उभरती है,
फ़ादर बुल्के ने संन्यासी की परंपरागत छवि से अलग एक नयी छवि प्रस्तुत की है|
फ़ादर बुल्के ने सांसारिक मोह त्याग दिया हो वह भी एक संन्यासी थे| वह हमेशा दूसरों के कल्याणार्थ सदैव तत्पर रहते थे| वह सबसे मिल जुल कर रहते थे एवं सुबके सुख दुःख में साथ रहते थे|
फ़ादर बुल्के एक निष्काम कर्मयोगी थे। वह लम्बे, गोरे, भूरी दाढ़ी व नीली आँखों वाले चुम्बकिय आकर्षण से युक्त संन्यासी थे। अपने हर प्रियजन के लिए उनके ह्रदय में ममता व अपनत्व की अमृतमयी भावना उमड़ती रहती थी। उनके व्यक्तित्व में मानवीय करुणा की दिव्य चमक थी। वह अपने प्रिय जनों को खुशिओं से भर देते थे।
वह भारत को ही अपना देश मानते हुए यहीं की संस्कृति में रच -बस गए थे। वह हिंदी के प्रकांड विद्वान थे एवं हिंदी के उत्थान के लिए सदैव तत्पर रहते थे। वह हिन्दी भाषा को बहुत मानते थे|
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फ़ादर कामिल बुल्के की छवि संकल्प से संन्यासी जैसे व्यक्ति की उभरती है। उनका लंबा शरीर ईसाइयों के सफ़ेद चोंगे में। हुँका रहता था। उनका रंग गोरा था तथा चेहरे पर सफ़ेद भूरी दाढ़ी थी। उनकी आँखें नीली थीं। वे इतने मिलनसार थे कि एक बार संबंध बन जाने पर सालों-साल निभाया करते थे। वे पारिवारिक जलसों में पुरोहित या बड़े भाई की तरह उपस्थित होकर आशीर्वादों से भर देते थे, जिससे मन को अद्भुत शांति मिलती थी। उस समय उनकी छवि देवदार के विशाल वृक्ष जैसी होती थी।