Science, asked by adilmohd8117, 11 months ago

इस पद्धति की पेय जल व्यवस्था (पर्वतीय क्षेत्रों में, मैदानी क्षेत्र अथवा पठार क्षेत्र) से तुलना कीजिए।

Answers

Answered by nikitasingh79
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उत्तर :

इस पद्धति का अर्थ है :- जल संरक्षण पद्धति  

पर्वतीय क्षेत्रों में पेयजल व्यवस्था -  

१.हिमाचल प्रदेश में जल संग्रहण की 400 वर्ष पुरानी परंपरागत पद्धति 'कुल्ह’  आज भी प्रचलित है । इस पद्धति के अंतर्गत झरनों से बहने वाली जल को छोटी-छोटी नालियों के द्वारा पर्वतीय क्षेत्र के निचले गांवों में एकत्रित किया जाता था । जिसका उपयोग सर्वप्रथम कृषि कार्य हेतु तथा उसके बाद गांव वाले इस जल का उपयोग करते थे।

२.जिंग पद्धति द्वारा लद्दाख के क्षेत्रों में जल संरक्षण किया जाता है। इस पद्धति में बर्फ के ग्लेशियर को रखा जाता है जो दिन के समय सूरज की गर्मी से पिघल कर जल की कमी को पूरा करता है।

मैदानी क्षेत्रों में पेयजल व्यवस्था -

राजस्थान के पारंपरिक जल संग्रहण पद्धति खादिन है इस पद्धति में जल का परंपरागत रूप से संग्रहण करके फसलों  तथा भूमि का जल स्तर बढ़ाने में उपयोग किया जाता था।

राजस्थान में वर्षा का जल का संग्रहण विशेष घर, मकानों व्यवसायिक इमारतों में बने गड्ढों में किया जाता है । जिसका उपयोग रोज की आवश्यकताओं को पूरा करने में किया जाता है।

पठारी क्षेत्रों में पेयजल व्यवस्था -

महाराष्ट्र में जल संग्रहण पद्धति  ‘भंडार’  हैं, जिसमें नदियों के किनारों पर ऊंची-ऊंची दीवारें बनाकर काफी मात्रा में जल को एकत्रित किया जाता है। जिसका उपयोग दैनिक कामों की आवश्यकताओं को पूरा करने में किया जाता है।

आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।


Answered by Anonymous
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 <b> उत्तर : </b>


उर्जा का उतम स्रोत वह है जो -

1. प्रति एकांक आयतन अथवा प्रति एकांक द्रव्यमान अधिक कार्य करे |

2. जो आसानी से उपलब्ध हो |

3. भंडारण तथा परिवहन में आसान हो |

4. वह सस्ता हो |

5. जलने पर प्रदुषण न फैलाए |

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