इस पद्यांश के संदर्भ प्रसंग व्याख्या कीजिए -
जेठ जरै जग चलै सुवारा, उठहिं बवंडर परहिं अंगारा।
उठै आगि औ आवै आंधी, नैन न सूझ भरौ दुख आंधी।
चढ़ा असाढ़ गगन घन गाजा, साजा विरह दुढ़ ढल
साजा।
धूम साम धौरे घन धाए, सेत धजा सग-पांति देखाएं।
खड़ग सीजु चमकै चहुँ ओरा, बूद-सान सरसहिं चहुँ
ओर ॥
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sorry nahi pata
aur question samaj mein Nahi aaya
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संदर्भ प्रसंग व्याख्या
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