इस सेमिनार इज टू बी कंडक्टेड ऑन द टॉपिक ग्लोबल वार्मिंग एंड इट्स इफेक्ट्स ऑफ ह्यूमन नेम ऋषभ टू सिक्स लेटर टू बी इंक्लूडेड इन द मेन टॉपिक
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रीवा. टीआरएस महाविद्यालय के रसायन शास्त्र विभाग में शनिवार को 'समसामयिक पर्यावरणीय समस्याएं' विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. रामलला शुक्ला रहे। मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. एमयू खान उपस्थित रहे।
मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. शुक्ला ने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में गर्मी की तरंगों में बढ़ोत्तरी हुई है। यह संकेत करती हैं कि विश्व ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन जैसी चुनौतियों का सामना कर रहा है। इसका अपने देश में भी काफी असर है। हिमालय के ग्लेशियरों के पिघलने की दर में तेजी आई है।
जिसकी वजह से बाढ़ जैसी प्राकृतिक समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। पिछले पांच वर्षों में बनों में आग, बाढ़ और भूकंप जैसी अन्य आपदाएं बढ़ी हैं।
मुख्य वक्ता डॉ. एमयू खान ने कहा कि भारत जल्द ही सर्वाधिक आबादी वाले देश के रूप चीन को मात देने के लिए तैयार हो गया है। भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती आबादी वाला देश है। जबकि पर्यावरण के संरक्षण में सबसे पीछे है। आज हमारा देश कई पर्यावरणीय समस्याओं से ग्रस्त है। जो पिछले केवल कुछ दशकों में काफी बढ़ी हुई है। पर्यावरण के प्रति हमारी अनदेखी तबाही पैदा कर सकती है। हमें पर्यावरण में होने वाली क्षति से पहले ही जागरुक हो जाना चाहिए।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. दीप्ती पाण्डेय ने किया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से डॉ. अजय शंकर पाण्डेय, डॉ. गायत्री मिश्रा, डॉ. कल्पना अग्रवाल, डॉ. संजय कुमार सिंह एवं मंजू पाण्डेय, डॉ. बीपी सिंह, डॉ. श्रीनाथ पाण्डेय, डॉ. भूपेन्द्र सिंह, डॉ. क्षिप्रा द्विवेदी, डॉ. कुवंर प्रताप सिंह, अरुण शुक्ला, प्रतिभा सोनी के साथ ही रसायन विभाग के सभी छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।