Hindi, asked by patilvanita1970, 4 months ago

इस संसार मे सबका व्यवहार निस्वार्थ से भरा है।​

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Answered by llNairall
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पीलीभीत : धर्मशास्त्रों के अनुसार संपूर्ण जगत में 84 लाख योनियां है। मानव योनि सर्वोत्तम मानी गई है, क्योंकि अन्य समस्त क्रियाओं के साथ-साथ मन, बुद्धि, विवेक, प्रेम, करुणा, दया आदि गुण ईश्वर ने मनुष्य को ही प्रदान किए हैं जो मनुष्य को अन्य सभी प्राणी से पृथक करते हैं। अभिप्राय यह है कि मनुष्य को जो ईश्वर ने प्रदान किया है, उसे ईश्वर के प्रति समर्पित भाव से अपने जीवन में धारण करना चाहिए। संपूर्ण जगत में जितने भी प्राणी, जीव-जंतु, पशु-पक्षी आदि जीवनयापन करते हैं। प्रेम, त्याग और दूसरों के प्रति सम्मान की भावना मनोवैज्ञानिक रूप से देखी जा सकती है

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