Hindi, asked by mohitkumar08340971, 15 days ago

इस संसार से संपत्ति संपृक्त एक रचनात्मक कर्म हाउस कती के बिना मानवीयता अधूरी है। ​

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Answered by khan1137
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Answer:

sare jaha see more

Explanation:

sare jaha see

Answered by shishir303
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इस संसार से संपृक्ति एक रचनात्मक कर्म है। इस कर्म के बिना मानवीयता अधूरी है।

यह पंक्तियां मलयज जी द्वारा लिखित ‘हंसते हुए मेरा अकेलापन’ नामक निबंध से ली गई हैंं।

व्याख्या ⦂

इन पंक्तियों के माध्यम से लेखक के कहने का भाव यह है कि इस संसार में मानव का संसार से जुड़े रहना बेहद आवश्यक होता है। मानव ही इस संसार के समस्त संसाधनों का उपभोग करता है और इन संसाधनों का सृजन भी करता है। मानव कि इस संसार का निर्माता है, वही संसार का भोग करता है। यदि मानव में भोगने की प्रवृत्ति न तो वो कोई कर्म ही न करे। कर्म करना ही जीव की आवश्यकता है, ये उसके अस्तित्व के लिये ही आवश्यक है। मानव यदि कर्म न करे तो उसका अस्तित्व ही न रहे। कर्म के मानवीयता पूर्ण नही हो सकती है।

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