Hindi, asked by shijitomsonjoy, 3 months ago

इस स्तंभकार को वे दिन याद आए-आजादी के पहले स्वाधीनता संग्राम के दिन, जब देश के नेताओं के
कलेंडर बाज़ारों और घरों में भरे होते थे। गांधी, तिलक, नेहरू, पटेल, सुभाष, राजेंद्र बाबू,
मौलाना आजाद से
लेकर भगतसिंह, चंद्रशेखर आजाद आदि शायद ही कोई नेता ऐसा हो जिसका कलेंडर बाज़ार में न मिलता हो।
सच तो यह है कि सारे समाज में देशभक्ति की लहर जगाने में इन राष्ट्रीय नेताओं के कलेंडरों का बड़ा हाथ
था, जो घर-घर में पहुँचे हुए थे। हम बच्चे घर की दीवारों पर उन्हें टंगे देख उनके बारे में पूछते थे, इस तरह
स्वाधीनता संग्राम के इतिहास से खुद को जुड़ा महसूस करते थे और देश की आजादी के लिए बड़े होकर लड़ने
का स्वप्न देखा करते थे।
प्रश्न-(क) स्तंभकार को किन दिनों की याद आ गई?
(ख) बाज़ार में कैसे कलेंडरों की भरमार होती थी?
(ग) लोगों में देशभक्ति जगाने में कौन साथ देता था?
(घ) बच्चे स्वयं को स्वाधीनता संग्राम से जुड़ा
कैसे
महसूस
करते थे?
(ङ) बच्चों द्वारा क्या स्वप्न देखे जाते थे?​

Answers

Answered by anoopagnihotri578
1

Answer:

joi n for se x c .hat g .irls fast

atj-nvgy-jbi

Similar questions