इस समाधि में लिपी हुई है
जलकर जिसने स्वतंत्रता
यह समाधि, यह लघु समाधि है
झाँसी की रानी की।
अतिम लीला स्थली यही है
लक्ष्मी मरदानी को।
यही कहीं पर बिखर गई वह
भग्न विजय माला सी।
उसके फूल यहाँ संचित है
है यह स्मृतिशाला सी।।
सहेवार पर वार अंत तक
लड़ी वीर बाला सी।
आहुति-सी गिर चढ़ी चिता पर
चमक उठी चाला सी।।
बढ़ जाता है मान वीर का
रण में बलि होने से।
मूल्यवती होती सोने की
भस्म यथा सोने से।।
रानी से भी अधिक हमें अब
यह समाधि है प्यारी।
यहाँ निहित है स्वतंत्रता की
आशा की चिंगारी।।
यह समाधि, यह चिर समाधि है
झाँसी की रानी की।
अतिम लीला स्थली यही है
लक्ष्मी मरदानी की।
-सुभद्राकुमारी चौहान
इस कविता का सारांश या हर अनुच्छेद का अर्थ बताएं। कृपया इसका उत्तर बताएं।
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यह कविता झाँसी की रानी की समाधि पर सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा लिखी गई है|
इन पंक्तियों में रानी लक्ष्मीबाई के बलिदान के महत्व पर प्रकाश डालते हुए उनके प्रति भावपूर्ण श्रदांजली अर्पित की है|
यह रानी लक्ष्मी बाई की समाधि है| इसमें रानी के शरीर की राख है| रानी ने अपने शरीर का बलिदान देकर अपने देश की रक्षा की थी| रानी की यह छोटी से समाधि के महान त्याग और देशभक्ति की निशानी है| कवयित्री कहती है , रानी ने युद्ध भूमि में अंग्रेजी सेना के साथ बहादुरी से लड़ते हुए रानी के शरीर के टुकड़े—टुकड़े हो गए थे | रानी के बलिदान और महान त्याग , आहुति का काम किया जिससे लोगों में अधिक उत्साह से आज़ादी की लड़ाई में भाग लेने की कीर्ति चारों और फ़ैल गई|
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