इस (देश की ) मिट्टी में हुई थी ये महान विभुतियाँ
Answers
Answer:
यहां ख्याति प्राप्त मूर्तिकार नहीं, बल्कि नन्हें बच्चे अपने हाथों का कमाल दिखा रहे थे। बच्चों की प्रतिभा की झलक इसी से मिलती है कि किसी ने मिट्टी से हूबहू गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर का प्रतिमान बना दिया तो किसी ने मिट्टी को भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का ही रूप दे दिया।
Explanation:
यह कैसा योग है कि महान आत्माओं का उदय और निर्वाण एक ही तिथि को संभव हो गया। जहां 31 अक्तूबर को देश के प्रथम उप-प्रधानमंत्री एवं गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती थी, वहीं उसी तारीख को भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का बलिदान दिवस भी है। पटेल के दृढ़ निश्चय और कठोर फैसले के कारण कई रियासतों का विलय भारत में हो पाया। उधर इंदिरा हाड़-मांस की वह महिला थीं, जिनके इस्पात से भी अधिक कठोर दृढ़ निश्चय के कारण पाकिस्तान का विभाजन हुआ। फिर पंजाब में पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद के चक्रव्यूह को भेदने के ऑपरेशन ब्लू स्टार के विरोध में उनके अंगरक्षकों ने उनकी हत्या कर दी। देश सदा आभारी रहेगा इन दोनों महान विभूतियों का।
एस पी सिंह, मेरठ, उत्तर प्रदेश
कुंबले ने जो कहा
भारतीय टीम के पूर्व कप्तान और महान स्पिनर अनिल कुंबले ने बीते दिनों कहा कि उन्हें टीम की कप्तानी तब सौंपी गई, जब वास्तव में कोई यह जिम्मेदारी उठाने के लिए तैयार नहीं था। कुंबले की इस बात में उनकी पीड़ा साफ तौर पर झलकती है। लेकिन इस सच का पता भी चलता है कि वह तब टीम का कप्तान बनने को तैयार हो गए, जब भारतीय टीम संकट की स्थिति में थी और कोई अपने करियर को दांव पर लगाने के लिए तैयार नहीं था। कभी-कभी दूसरों की नाकामी किसी सार्थक परिवर्तन का रास्ता खोल देती है। इतिहास गवाह है कि अनिल कुंबले भारत के उन सफल टेस्ट कप्तानों में गिने गए, जो मैदान पर जुझारू और ड्रेसिंग रूम में संयत रहे, जिन्होंने टीम इंडिया को टेस्ट में हार न मानने वाली टीमों में शामिल कराया। उन्होंने बीसीसीआई को यह रास्ता भी दिखाया कि गेंदबाजों को कप्तानी की जिम्मेदारी दी जा सकती है। यह कोई कहने की बात नहीं कि अनिल कुंबले न केवल भारत, बल्कि दुनिया के सर्वकालिक महान स्पिनरों में गिने जाते हैं।