इस धरती पर प्रभु की सर्वोत्तम रचना मानव है परंतु यह सर्वश्रेष्ठ क्यों ? संभवतः कम लोग ही इसका
रहस्य जानते हैं। इस धरती के सभी जीवजन्तुओं एवं प्राणधारियों में सोना
खाना, पीना आदि अधिकांश बातें
समान हैं विशेषता है तो केवल मानव धर्म की जीवन में कर्तव्य और ज्ञान की यह कैसी विडम्बना है कि वह इस
धरती पर सर्वश्रेष्ठ होने के बावजूद संसार में क्यों आया हैं? उसे क्या करना है कहाँ जाना है तथा उसके जीवन का
ध्येय क्या है ? उद्देश्य क्या है ? इन बातों पर विचार करने के बजाय वह अपने शरीर को सुख देनेवाले कार्यों में लीन
रहता है। किन्तु वह भूल जाता कि वह शरीर कितना गन्दा है आँख, कान और नाक द्वारा मल निकलता है। जिन्हें
एक क्षण भी हमारे पास नहीं रख सकते हैं जब तक यह शरीर के अन्दर है एससे कोई गन्ध नहीं आती क्योंकि उसे
शुद्ध करनेवाली आत्मा शरीर में होती है। आत्मारूपी शक्ति को जानने की तथा उसे बढ़ाने के लिए कभी सोचा हैं?
कभी प्रयत्न किया ?योग साधना इसका मार्ग है ? योग साधना ही मनुष्य को सर्वोत्तम प्राणी सिदध कर सकता है
1.is pariched ko uchit shirshak digiae.
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'जीवन का वास्तविक स्वरूप'
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