इसी उधेड़-बुन में पड़े लाला झाऊलाल छत पर टहल रहे थे। कुछ प्यास मालूम हुई। उन्होंने नौका को आवाज़ दी। नौकर नहीं था, खुद उनकी पत्नी पानी लेकर आई। वह पानी तो ज़रूर लाईं पर गिलास लाना भूल गई थीं। केवल लोटे में पानी लिए वह प्रकट हुई। फिर लोटा भी संयोग से वह जो अपनी बेढंगी सूरत के कारण लाला झाऊलाल को सदा से नापसंद था। था तो नया, साल दो साल का ही बना पर कुछ ऐसी गढ़न उस लोटे की थी कि उसका बाप डमरू और माँ चिलम रही हो।
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If you don't let your past die, then it won't let you live.
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