Hindi, asked by swatisaw2008, 24 days ago

इस विषय पर लेख लिखिए :-
भाग्य एवं बुद्धि का संबंध​

Answers

Answered by ajoshimay1980
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Explanation:

एक बार भाग्य और बुद्धि में बहस हो गई। भाग्य ने गर्व से सिर उठाकर कहा-‘‘ मैं बड़ा हुँ।‘‘ बुद्धि बोली -‘‘नहीं, मैं बडी हूँ।‘‘ बहस बहुत देर तक चलती रही। अंत में दोनो ने निर्णय किया कि बहस से समस्या का हल नहीं होगा; इसके लिए कुछ करके दिखाना चाहिए।

तभी उन्हें खेत में काम करता एक किसान दिखाई दिया। बुद्धि ने भाग्य से कहा-‘‘ तुम अगर इसे राजा बना दो तो मैं हार मान लूँगा।‘‘

भाग्य ने कहा -‘‘ठीक है, मैं इसे अभी राजा बनाता हूँ। भाग्य किसान के पास पहुँचा तो उसके खेत में खड़े गेहूँ की बाले मोतियों से भर गई। किसान ने एक बाल तोड़कर देखी तो उसमें मोती निकले। उसने दूसरी बाल तोडी तो उसमें भी मोती निकले। उसने मोती कभी देखे न थे, सोचा-ये कंकड़ हैं। वह सिर पकड़कर बैठ गया और बोला-‘‘हे भगवान! यह क्या हो गया ? इन कंकड़ों का क्या करूँ? साल भर की मेहनत व्यर्थ चली गई।‘‘ वह खेत के किनारे बैठकर अपने भाग्य को कोसने लगा। तभी उस देश का राजा अपने मंत्री के साथ उधर से गुजरा। उसने किसान को रोते देखा तो रूक गया। उसने किसान से रोने का कारण पूछा। किसान ने राजा को सब कुछ बता दिया। राजा ने खेत में घुसकर देखा तो यह देखकर आश्चर्य में पड़ गया कि उस खेत में मोती उगे हुए थे। राजा ने मंत्री केा एक ओर बुलाकर कहा-‘‘क्यो न हम अपनी राजकुमारी का विवाह इस किसान से कर दें। वह हमारी इकलौती संतान है। इस भाग्यशाली आदमी के साथ सुखी रहेगी।‘‘

म्ंत्री ने भी राजा की हाँ में हाँ मिलाते हुए कहा-‘‘ आपका विचार उŸाम है।‘‘

अब राजा किसान से बोला -‘‘सुनो तुम यह सारी फसल काटकर राजमहल में पहुँचा दो। इसके बदले में हम तुम्हारा विवाह अपनी पुत्री से कर देंगे और बहुत-सा धन भी देगे।‘‘

किसान तुरंत तैयार हो गया इस तरह उसके खेत के सारे मोती राजमहल मे पहँुच गए। यह देखकर बुद्धि मुस्कराई तो भाग्य बोली-‘‘देखती रहो, यह राजा बनने ही वाला है।‘‘ राजा ने अपने वख्चन का पालन किया। उसने निश्चित दिन अपनी पुत्री का विवाह उस किसान से कर दिया। किसान बहुत प्रसन्न था।

जब राजकुमारी सज-सँवरकर किसान के कमरे में आई तो उसके मन मे विचार आया कि कहीं यह चुडैल तो नहीं है। उसने बचपन में सुन रख था कि चुडैल संुदर रूप धारण करके आदमियों का खून चुस लेती है और उन्हे मार डालती है। चुडैल के हाथ पड़ने से अच्छज्ञ है कि मैं यहाँ से भाग जाऊँ। यही सोचकर वह कमरे से निकल भागा। वहाँ से भागकर किसान नही के किनारे जा बैठा। तभी राजा क सैनिको ने उसे देख लिया। वे उसे पकड़कर राजा के पास ले आए। उसे देखकर राज को क्रोध आ गया। उसने किसान केा कठोर दंड़ देने का निश्चय किया।

बुद्धि ने भाग्य से कहा-‘‘देख लिया तुमने? अब

इस आदमी को सजा होने जा रही है। बोलो,

क्या कहते हो?

निराश होकर भाग्य बोला-‘‘ अगर तुम इस

आदमी को बचा लो, तो मैं हार मान लूँगा।‘‘

बुद्धि ने हँसकर कहा-‘‘तो ठीक है। अब मेरा

कमाल देखो। मैैं चली उसके पास।‘‘

जैसे ही बुद्धि किसान के पास आई, वह बालो-‘‘राजन!आप मेरे ससुर हैं। क्या मैं आपसे पुछ सकता हूँ कि मुझे क्यों लाया गया है?‘‘

राजा बोला-‘‘तुमने मेरी पुत्री का तिरस्कार करके मेरा घोर अपमान किया है। इसका तुम्हें दंड दिया जाएगा।‘‘

तब किसान बोला-‘‘ राजन!जब आपकी पुत्री कमरे में आई, तभी नदी की ओर से ‘बचाओ-बचाओ‘चिल्लाने की आवाज मेरे कानो में पडी़। मै।अपने आपको रो न सका और उस आदमी को बचाने नदी पर चला गया था। अगर यह मेरा दोष हैै तो आप मुझे अवश्य दंड़ दे।‘‘

किसान की बात सुनकर राजा बहुत प्रसन्न हुआ और गले से लगा लिया। वह बोला-‘‘ हमारे बाद तुम ही इस देश के राजा बनोगंे।‘‘ उ

तब बुद्धि ने मुस्कराकर भाग्य की ओर देखा। भाग्य ने हँसकर कहा-‘‘ मैं अपनी हार मानता हूँ। तुम वास्तव में मुझसे बड़ी हो।‘‘

I hope you like them,

Enjoy your Saturday. Saturday For Story

Have a Nice Day.

Answered by MrGENIUS135790
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Answer:

एक बार भाग्य और बुद्धि में बहस हो गई। भाग्य ने गर्व से सिर उठाकर कहा-“ मैं बड़ा हुँ।" बुद्धि बोली -"नहीं, मैं बड़ी हूँ।" बहस बहुत देर तक चलती रही। अंत में दोनों ने निर्णय किया कि बहस से समस्या का हल नहीं होगा; इसके लिए कुछ करके दिखाना चाहिए।

तभी उन्हें खेत में काम करता एक किसान दिखाई दिया। बुद्धि ने भाग्य से कहा-“ तुम अगर इसे राजा बना दो तो मैं हार मान लूँगा।"

भाग्य ने कहा “ठीक है, मैं इसे अभी राजा बनाता हूँ। भाग्य किसान के पास पहुँचा तो उसके खेत में खड़े गेहूँ की बाले मोतियों से भर गई। किसान ने एक बाल तोड़कर देखी तो उसमें मोती निकले। उसने दूसरी बाल तोडी तो उसमें भी मोती निकले। उसने मोती कभी देखे न थे, सोचा-ये कंकड़ हैं। वह सिर पकड़कर बैठ गया और बोला- "हे भगवान! यह क्या हो गया ? इन कंकड़ों का क्या करूँ? साल भर की मेहनत व्यर्थ चली गई।" वह खेत के किनारे बैठकर अपने भाग्य को कोसने लगा। तभी उस देश का राजा अपने मंत्री के साथ उधर से गुजरा। उसने किसान को रोते देखा तो रूक गया। उसने किसान से रोने का कारण पूछा। किसान ने राजा को सब कुछ बता दिया। राजा ने खेत में घुसकर देखा तो यह देखकर आश्चर्य में पड़ गया कि उस खेत में मोती उगे हुए थे। राजा ने मंत्री के एक ओर बुलाकर कहा-"क्यो न हम अपनी राजकुमारी का विवाह इस किसान से कर दें। वह हमारी इकलौती संतान है। इस भाग्यशाली आदमी के साथ सुखी रहेगी।"

मंत्री ने भी राजा की हाँ में हाँ मिलाते हुए कहा-" आपका विचार उम है।"

अब राजा किसान से बोला "सुनो तुम यह सारी फसल काटकर राजमहल में पहुँचा दो। इसके बदले में हम तुम्हारा विवाह अपनी पुत्री से कर देंगे और बहुत-सा धन भी देंगे।" किसान तुरंत तैयार हो गया इस तरह उसके खेत के सारे मोती राजमहल मे पहँच गए। यह देखकर बुद्धि मुस्कराई तो भाग्य बोली-“देखती रहो, यह राजा बनने ही वाला है।" राजा ने अपने वचन का पालन किया। उसने निश्चित दिन अपनी पुत्री का विवाह उस किसान से कर दिया। किसान बहुत प्रसन्न था।

जब राजकुमारी सज-सँवरकर किसान के कमरे में आई तो उसके मन में विचार आया कि कहीं यह चुडैल तो नहीं है। उसने बचपन में सुन रख था कि चुडैल सं.दर रूप धारण करके आदमियों का खून चुस लेती है और उन्हें मार डालती है। चुडैल के हाथ पड़ने से अच्छज्ञ है कि मैं यहाँ से भाग जाऊँ। यही सोचकर वह कमरे से निकल भागा। वहाँ से भागकर किसान नही के किनारे जा बैठा। तभी राजा क सैनिको ने उसे देख लिया। वे उसे पकड़कर राजा के पास ले आए। उसे देखकर राज को क्रोध आ गया। उसने किसान का कठोर दंड़ देने का निश्चय किया। बुद्धि ने भाग्य से कहा-“देख लिया तुमने? अब इस आदमी को सजा होने जा रही है। बोलो, क्या कहते हो?

निराश होकर भाग्य बोला" अगर तुम इस आदमी को बचा लो, तो मैं हार मान लूँगा।" बुद्धि ने हँसकर कहा-"तो ठीक है। अब मेरा कमाल देखो। मैं चली उसके पास।"

जैसे ही बुद्धि किसान के पास आई, वह बालो-"राजन! आप मेरे ससुर हैं। क्या मैं आपसे पूछ सकता हूँ कि मुझे क्यों लाया गया है?"

राजा बोला “तुमने मेरी पुत्री का तिरस्कार करके मेरा घोर अपमान किया है। इसका तुम्हें दंड दिया जाएगा।"

तब किसान बोला-" राजन! जब आपकी पुत्री कमरे में आई, तभी नदी की ओर से बचाओ-बचाओ चिल्लाने की आवाज़ मेरे कानों में पड़ी। मै अपने आपको रो न सका और उस आदमी को बचाने नदी पर चला गया था। अगर यह मेरा दोष है तो आप मुझे अवश्य दंड किसान की बात सुनकर राजा बहुत प्रसन्न हुआ और गले से लगा लिया। वह बोला-" हमारे बाद तुम ही इस तब किसान बोला-“ राजन! जब आपकी पुत्री कमरे में आई, तभी नदी की ओर से 'बचाओ-बचाओ' चिल्लाने की आवाज मेरे कानो में पड़ी। मैं अपने आपको रो न सका और उस आदमी को बचाने नदी पर चला गया था। अगर यह मेरा दोष है तो आप मुझे अवश्य दं

किसान की बात सुनकर राजा बहुत प्रसन्न हुआ और गले से लगा लिया। वह बोला " हमारे बाद तुम ही इस देश के राजा बनोगं ।"

तब बुद्धि ने मुस्कराकर भाग्य की ओर देखा। भाग्य ने हँसकर कहा-" मैं अपनी हार मानता हूँ। तुम वास्तव में मुझसे बड़ी हो।"

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