इसका क्या कारण है कि ललघद जी ने कबीर की भांति धार्मिक संकीर्णताओं का विरोध कर प्रेम को महत्वपूर्ण माना है ?
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___ललद्यद की काव्य-शैली को वाख कहा जाता है। जिस तरह हिंदी में कबीर के दोहे, मीरा के पद, तुलसी की चौपाई और रसखान के सवैये प्रसिद्ध हैं, उसी तरह ललयद के वाख प्रसिद्ध हैं। अपने वाखों के जरिए उन्होंने जाति और धर्म की संकीर्णताओं से ऊपर उठकर भक्ति के ऐसे रास्ते पर चलने पर जोर दिया जिसका जुड़ाव जीवन से हो।
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ललघद जी ने अपनी रचना मे सबसे महत्त्वपूर्ण स्थान प्रेम को दिया है क्योंकि उनके अनुसार प्रेम ही वह माध्यम है जिसके द्वारा हम ईश्वर की प्राप्ति कर सकते है, जब तक हम ख़ुद की योग्यता को नहीं पहचान लेते तब तक हम इस संसार के आडम्बरों में उलझे रहेंगे और हमारा जीवन समाप्ति के कगार पर आ जाएगा |अतः प्रेम के द्वारा ही हम ईश्वर को प्राप्त और स्वयं को संतुष्ट कर सकते हैं |
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