इसका पद्यांश का भावार्थ मिल सकता हैं क्या ??
देदो यार इम्पोटेंट हैं प्लीज
Answers
Explanation:
मूल अवतरण दो-तीन बार ध्यानपूर्वक पढ़िए और विचारों को रेखांकित कीजिए।
(2) व्यर्थ बातों या शब्दों को हटा दीजिए।
(3) रेखांकित वाक्यों और शब्दों को मिलाकर सार्थक वाक्य बना लीजिए। रिक्त स्थानों की पूर्ति के लिए कुछ बाहरी शब्द भी लिये जा सकते हैं। इस प्रकार, भावार्थ की रुपरेखा तैयार हो जायेगी।
(4) व्याख्या की तरह विषय की लम्बी-चौड़ी व्याख्या करने या प्रत्येक पंक्ति या वाक्य का विस्तार करने या अपनी ओर से टीका-टिप्पणी करने की कोई आवश्यकता नहीं है।
(5) भावार्थ की भाषा स्पष्ट और सरल हो। मूल अवतरण में दिये गये शब्दों का ज्यों-का-त्यों प्रयोग अपेक्षित नहीं है।
(6) आलंकारिक शब्दों या भाषा का प्रयोग नहीं होना चाहिए।
(7) भावार्थ में भावों का पदान्वय नहीं होना चाहिए। समूचे अवतरण को पढ़ लेने के बाद सोचना चाहिए कि मूल के सभी महत्त्वपूर्ण और आवश्यक भाव आ गये या नहीं। यदि कोई विचार छूट गया, हो तो यथास्थान समाविष्ट कर देना चाहिए।
तात्पर्य यह है कि गद्यांश या पद्यांश में आये विचारों को संक्षेप में, सरल भाषा में, लिख देने के प्रयास को 'भावार्थ कहते है। इसमें खण्डन-मण्डन या टीका-टिप्पणी की कोई गुंजाइश नहीं रहती। परीक्षार्थी को अपनी ओर से एक भी बात घटाने या बढ़ाने का अधिकार नहीं है।
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