इसपर कहानी लेखन कीजिए pleaseee!!!
संजय नामक एक लड़का था जो हमेशा शाम के समय कंपनी बाग में अपनी मित्र-मंडली के साथ बैठा करता था। वहाँ कभी कोई कहानी सुनाता, कोई घटना, तो कोई चुटकुला। आज तो संजय के पास सुनाने के लिए बहुत कुछ था क्योंकि कल रात जो कुछ उसके साथ हुआ वह अपने मित्रों
के साथ बोंटना चाहता था। उसने मित्रों को बताया कि कल रात जब वह सो गया था तब कुछ देर बाद उसे ऐसा लगा कि कोई उसे पुकार रहा है, जगा रहा है। आँखें खोलकर देखा तो कोई भी नहीं
दिखाई दिया। उसने कहा, "मैं तो.......
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संजय नामक एक लड़का था जो हमेशा शाम के समय अपनी कंपनी बाग में अपने मित्र मंडली के साथ बैठा करता था | वहां कभी कोई कहानी सुनाता, कोई घटना, तो कोई चुटकुला | आज तो संजय के पास सुनाने के लिए बहुत कुछ था क्योंकि कल रात जो उसके साथ हुआ वह अपने मित्रों के साथ बांटना चाहता था | उसने मित्रों को बताया कि कल राज्य वह सो गया था तब कुछ देर बाद उसे ऐसा लगा कि कोई उसे पुकार रहा है, जगा रहा है | आंखें खोलकर देखा तो कोई भी नहीं दिखाई दिया | उसने कहा, "मैं तो डर ही गया "। वह फिर से सो गया, फिर उसे एक सपना आया उसने देखा कि – ' एक लड़की अपनी खेलने वाली गुड़िया के साथ, उदास मन से बैठी हुई थी, और रो रही थी, तभी मैं उस सन्नाटे वाले इलाके से गुजर रहा था, आश्चर्य की बात तो यह थी कि उस इलाके में दूर दूर तक ना ही कोई घर थी और ना ही कोई बस्ती | अचानक उसे एक छोटी सी बच्ची की रोने की आवाज सुनाई दी, जब उसने यह सुना तो थोड़ा डर गया तभी उसने देखा कि – 'वहां एक छोटी सी बच्ची बैठ कर रो रही है, तो मुझे लगा कि शायद वह वही बच्ची है जो बैठ कर रो रही है | वह थोड़ा डरा तो हुआ था, लेकिन उसने हार नहीं माना और धीरे-धीरे उस बच्चे के पास पास जाने की कोशिश की | जब बच्चे के पास चला गया और पूछने लगा कि बेटा तुम क्यों रो रहे हो, तब बच्ची ने कोई भी उत्तर नहीं दिया, और यह देख कर मैं बहुत डर गया मैंने उसे फिर से पूछा बेटा क्या हुआ तुम क्यों रो रही हो, मेरे पास कुछ टॉफी रखी हुई थी, मैंने उसे बच्ची को देकर कहा बेटा क्या आप अपने मम्मी पापा से बिछड़ गए हो ? आप कहां रहते हो ? उसके बार-बार पूछने पर भी बच्ची ने कोई जवाब नहीं दिया | फिर मैं थोड़ा और डर गया, और मैं उससे थोड़ा दूर जाने लगा | तभी अचानक देखा कि उस बच्ची ने अपना चेहरा ऊपर को किया, मैं देखा तो डर गया कि वह बच्ची बच्ची नहीं थी – असल में उसके चेहरे कुछ खून से लथपथ थे | और तभी डर से मेरी नींद खुल गई |