Hindi, asked by AvinashSingh4304, 10 months ago

इससे आपका जाना भी परंपरा की चाल से कुछ अलग नहीं है, तथापि आपके शासनकाल का नाटक घोर दुखांत है, और अधिक आश्चर्य की बात यह है कि दर्शक तो क्या, स्वयं सूत्रधार भी नहीं जानता था कि उसने जो खेल सुखांत समझकर खेलना आरंभ किया था, वह दुखांत हो जावेगा।

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Answered by Dhruv4886
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इससे आपका जाना भी परंपरा की चाल से कुछ अलग नहीं है, तथापि आपके शासनकाल का नाटक घोर दुखांत है, और अधिक आश्चर्य की बात यह है कि दर्शक तो क्या, स्वयं सूत्रधार भी नहीं जानता था कि उसने जो खेल सुखांत समझकर खेलना आरंभ किया था, वह दुखांत हो जावेगा -

•यहाँ कर्जन के शाशनकाल के बारेमे चर्चा हो रही है, जहा लेखक स्वयं लार्ड कर्जन के तानाशाही बर्ताव को देखकर अचंभित है|

• सबको लगा था की लार्ड कर्जन का शाशनकाल सफल होगा परन्तु उसका विपरीत हुआ, लार्ड कर्जन अपनी मनमानी करने लगे और प्रजा को पीड़ित करने लगे|

• कहते है की कर्जन जो नाटक कर रहे थे अच्छा बनने का और सुचारु रूप से शाशन करने का वह लोगो के सामने आगया और जैसे हर बुराई खत्म होती है वैसे ही उनकी बुराई का भी अंत आगया|

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