ishwar Kan Kan me he Bahar dhundana vyarth he . is par patr lekhan in about 150 words
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ईश्वर को कण-कण में है बहार ढूंढना व्यर्थ है, जैसे हम सोच ले की किसी भूमि पर बैठते हैं तो हम पाते हैं कि धुल कण या मिट्टी हमारे कपड़ों में लग जाते हैं, हम पानी में अपना हाथ डालते हैं तो पानी की बुंदे हमारे हाथ की त्वचा पर स्थित हो जाती हैं| ऐसा ही सभी पदार्थों के साथ होता है | यह सोचना गलत है | ईश्वर हमारे दिल वास करते है , हम कोई भी काम करते है , हमारे अच्छे-बुरे में हमेशा साथ है| ईश्वर को हर जगह ढूंढना और ऐसे पूजा करना व्यर्थ है हमें ईश्वर ऐसे नहीं मिलने वाले| ईश्वर तक पहुंचने के लिए हमें अच्छे कर्म करने होगे | मनुष्य जीवन मिला है हमें इसको अच्छे से जीना चाहिए | ऐसे ही अंधविश्वासों में नहीं पड़ना चाहिए |
ईश्वर को कण-कण में ढूंढने से अच्छा अच्छे कामों और अच्छे कर्म में लगाना चाहिए |
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