Ishwar ki bhakti hi saccha dhan hai.
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यह सच है कि ईश्वर की भक्ति ही सच्चा धन है क्योंकि पैसे रुपए या मुद्रा तो केबल मोह के तौर पर है परंतु ईश्वर की भक्ति ऐसी भक्ति है जो कि हमेशा रहती है रुपए पैसे आदि एक व्यक्ति से दूसरे के पास चले जाते हैं और जब ऐसा होता है उस व्यक्ति के पास का वह धन खत्म हो जाता है परंतु जब ईश्वर की भक्ति जो कि सबसे बड़ा धन है वह अगर किसी और के पास जाती है तब जो उसको दूसरे व्यक्ति को देता है उसके बाद भी वह रहती है क्योंकि यह मौका धन नहीं है बल्कि यह सच्चा धन है रुपए पैसे चोरी हो जाते हैं परंतु ईश्वर की भक्ति एक ऐसा धन है जो कि कभी कोई चोरी नहीं कर सकता है
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