ishwar ki maya kahi dhup kahi Chaya . within 200 words
Answers
अक्सर लोगों के मुंह से सुनने को मिल जाता है – ईश्वर की माया, कहीं धूप कहीं छाया. इसको और स्पष्ट करने के लिए एक दृष्टान्त का जिक्र करना लाजिमी हो जाता है.
Ishwar ki Maya Kahin Dhoop Kahin Chhaya
पिछले दिनों एक सज्जन अपने एक रिश्तेदार की शादी में शामिल होने गए थे. उस परिवार की गिनती शहर के अमीर और संपन्न लोगों में होती है. उनका फलता-फूलता व्यवसाय ही उनकी सम्पन्नता का कारण है. उनके घर में शहर के नामी-गिरामी लोगों का आना-जाना लगा रहता है.
शादी वाले दिन तो उनके घर की प्रत्येक चीज से उनकी सम्पन्नता झलक रही थी. उनकी शानो-शौकत देखते ही बन रही थी. पूरे बंगले को फूलों और रंग-बिरंगी बत्तियों से सजाया गया था. मेहमानों को लाने और ले जाने के लिए मँहगी-मँहगी कारों का काफिला लगा था. जो लोग इस शादी में शामिल होने के लिए शहर के बाहर से आये थे, उनके ठहरने के लिए डीलक्स होटलों में व्यवस्था की गयी थी. उनके बंगले की ओर जो भी जाता था वह कुछ पल के लिए भौचक्का रह जाता था. दूर-दूर तक इसी शादी के चर्चे थे.
खान-पान की भी व्यवस्था किसी पाँच सितारा होटल से कम नहीं थी. लोग जितना खा रहे थे उससे ज्यादा बरबाद कर रहे थे. मेहमानों की विदाई मँहगे उपहारों से की जा रही थी.