isko kehtay hay khud kay jaal may fasna ( writer :- may khud)
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अपने ही हाथों किस्मत की पतवार लिए बैठा हूँ।।
मैं जानता हूँ मेरी कश्ती में छेद है
फिर भी उम्मीदों का औजार लिये बैठा हूँ।।
जो दरिया में उतारा कश्ती तो अब तूफानों से क्या डरना
बुझदिल नहीं हूँ मै जो साहिल का इंतजार लिए बैठा हूँ।।
करूंगा रार तब तक चलेगी साँस जब तक
मैं होशोहवास में हूँ और नहीं हार लिए बैठा हूँ।।
जीत के सेहरे की तनिक चाह भी नही है मुझमें
मैं
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isko kehtay hay khud kay jaal may fasna ( writer :- may khud)
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