इति 3: (भावार्थ)
• उपर्युक्त पद्यांश का भावार्थ लिखिए।
| उत्तर : देखिए कविता का सरल अर्थ [3]।
Answers
• उपर्युक्त पद्यांश का भावार्थ
प्रस्तुत पंक्तियों में मीराबाई कहना चाहती है कि, वसंत ऋतू फाल्गुन मास में होली के रंगीन पर्व रंगो के त्योहार में होली खेतले समय हे कृष्ण आपके प्रेम में मग्न हो कर ऐसा लागता है कि बगैर करताल बजाए ही कानों में मधुर संगीत की लहरियॉं गुंज रही है | गींतों के झनकार सें हद्य आपके प्रेम गीतों में डुबकर झुम रहा है
प्रस्तुत पंक्तियों में मीराबाई होली के त्योहार के माध्यम से प्रेमपराभक्ति का वर्णन किया गया है| मीरा ने इस पद में श्री कृष्ण के साथ होली खेलने की कल्पना की है और उसका बखूबी चित्रण का वर्णन किया है।
मीराबाई कहना चाहती है , वंसत ऋतु फाल्गुन मास में आती है| होली के रंगो के त्योहार में होली खेलते समय हे कृष्ण आपके प्रेम में मग्न हो कर ऐसा लगता है कि उसी प्रकार से मुझे ध्यान में ऐसा लग रहा ही कि बगैर करताल बजाए ही कानों में ब्रह्मनाद हो रहा है और खड़ताल और पखावज आदि बज रहे हैं। बगैर किसी स्वर और राग के मुझे अनेकों स्वर सुनाई दे रहे हैं।
श्री कृष्ण के फेंके हुए गुलाल से, रंग से आसमान लाल हो गया है मेरा हृदय लाल हो गया है , मेरे हृदय में भक्ति का गुलाल लग गया है|
मेरा हृदय कृष्ण को समर्पित है और उनके रंग में रंगा हुआ है, डूबा हुआ है। होली खेलने के लिए मैं संतोषरूपी शील का उपयोग गुलाल की तरह किया है और मेरे श्री कृष्ण ही मेरी पिचकारी हैं।
Explanation:
पद्यांश का भावार्थ चाहिए