Hindi, asked by KrishRajputdifferent, 7 months ago

इतिहास भले ही उसको अनदेखा कर दे,
अवसरवादी उसको भूलें या ठुकराएँ।
विस्तृत जनपथ चौराहों या मैदानों पर
उसकी प्रस्तर-प्रतिमाएँ भले न लग पाएँ।
वह मौत भूल जाने की चीज़ नहीं होती,
सौ-सौ जीवन भी कब उसकी समता करते?
दीपक लड़ता है अँधियारों की सेना से,
उजियार भरा तब सुखद
सवेरा आता है।
जिसने जीवन के बीच मरसिया गाया हो,
वो ही जन्मों पर गीत प्रेम से गाता है।
जिसने निज मुंड चढ़ाया हो बलिवेदी पर,
सौ-सौ अर्पण भी कब उसकी समता करते?
-मनोज कुमार 'मनोज (in panktiyon ka saransh apne sabdo me likhe). ​

Answers

Answered by lavairis504qjio
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Explanation:

आदर्शोन्मुख यथार्थवाद (Idealistic Realism) आदर्शवाद तथा यथार्थवाद का समन्वय करने वाली विचारधारा है। आदर्शवाद और यथार्थवाद बीसवीं शती के साहित्य की दो प्रमुख विचार धाराएँ थीं। आदर्शवाद में सत्य की अवहेलना या उस पर विजय प्राप्त कर के आदर्शवाद की स्थापना की जाती थी। जबकि यथार्थवाद में आदर्श का पालन नहीं किया जाता था, या उसका ध्यान नहीं रखा जाता था। आदर्शोन्मुख यथार्थवाद में यथार्थ का चित्रण करते हुए भी आदर्श की स्थापना पर बल दिया जाता था। इस प्रवृत्ति की ओर प्रथम महत्त्वपूर्ण संकेत प्रेमचन्द का है। उन्होंने कथा साहित्य को यथार्थवादी रखते हुए भी आदर्शोन्मुख बनाने की प्रेरणा दी और स्वतः अपने उपन्यासों और कहनियों में इस प्रवृत्ति को जीवन्त रूप में अंकित किया। उनका उपन्यास प्रेमाश्रम इसी प्रकार की कृति है। पर प्रेमचन्द के बाद इस साहित्यिक विचारधारा का आगे विकास प्रायः नहीं हुआ। इस चिंतन पद्धति को कदाचित कलात्मक स्तर पर कृत्रिम समझकर छोड़ दिया गया।[1]

इस तस्वीर का प्रतिनिधित्व के बजाय वास्तविकता को स्वीकार आदर्श बनने की कोशिश कर समय बर्बाद नहीं है और एक यथार्थवादी होना

प्रेमचन्द कला के क्षेत्र में यथार्थवादी होते हुए भी सन्देश की दृष्टि से आदर्शवादी हँ। आदर्श प्रतिष्ठा करना उनके सभी उपन्यासों का लक्ष्य हॅ। ऐसा करने में चाहे चरित्र की स्वाभाविकता नष्ट हो जाय, किन्तु वह अपने सभी पात्रों को आदर्श तक पहुँचाते अवश्य है। प्रेमचन्द की कला का चर्मोत्कर्ष उनके अन्तिम उपन्यास गोदान में दिखाई पडता हॅ। "गोदान" लिखने से पहले प्रेमचन्द आदर्शोन्मुख यथार्थवादी थे, परन्तु "गोदान" में उनका आदर्शोन्मुख यथार्थवाद जवाब दे गया है।[2] प्रेमचंद इस विचारधारा के प्रमुख लेखक थे।

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