इतिहास साक्षी बहुत बार अकेले चने नहीं बाहर थोड़ा और ऐसा पौधा है कि भाड़ में खेल खेल ही नहीं हो गया उसका निशान तक है सच मंतर हुआ कि कोई भी न जान पाया कि वह बेचारा आखिर था वहां इस के writer का नाम बताइए
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इतिहास साक्षी है बहुत बार अकेले चले ले ही बाहर खड़ा है और ऐसा फोड़ा है कि भाड़ में कि चलकर ही नहीं हो गया उसका निशान तक ऐसा छूमंतर हुआ कि कोई यह भी ना जान पाया कि वह बेचारा आखिर था कहां
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