इति काव्यपाठ कुमः।
1. विश्वबन्धुत्व - विस्तारकं संस्कृतम्,
सत्यपथ - प्रेरणादायकं संस्कृतम्।
भारतीयत्व - सम्पादकं संस्कृतम्,
सत्यनिष्ठं शिवं सुन्दरं संस्कृतम्।। in Sanskrit
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