इटली का एकीकरण पर एक निबंध लिखिए ka Anwar
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इटली का एकीकरण | Unification of Italy in Hindi!
राष्ट्रवादी आन्दोलन का प्रभाव:
नेपोलियन के विजय-अभियानों से इटली में जो राष्ट्रीयता की चेतना जागृत हुई थी, उसकी कई रोचक विशेषताएँ थीं । इटली पर नेपोलियन का शासन लगभग दो दशकों (1796-1814) तक बना रहा । अन्य देशों की तुलना में यह अवधि लम्बी थी ।
पर, इटली में नेपोलियन के शासन के प्रति उतनी कुत्सा की भावना नहीं थी, फलत: वहाँ फ्रांसविरोधी जनता भी ज्यादा उग्र नहीं थी । इटली का नव-सम्पन्न वर्ग फ्रांसीसी शासन की कार्यक्षमता तथा प्रबुद्ध प्रकृति कायल था । फ्रांसीसी क्रांति की चर्चविरोधी भावना भी उन्हें अच्छी लगती थी ।
फ्रांस के एकछत्र शासन का एक भला परिणाम यह हुआ था कि इटालवी जनता के रजवाड़ों, पोप के प्रशासन, गुटतन्त्रीय गणतंत्रों तथा कई अन्य विदेशी राजवंशों के प्रति निष्ठा समाप्त हो गयी थी । नेपोलियन ने इटली का एकीकरण नहीं किया था ।
उसने राज्यों की संख्या घटा दी थी और पूरे प्रायद्वीप को तीन खंडों में रहने दिया था । लेकिन, समूचे देश पर एक शासन-व्यवस्था होने से इटली के राजनैतिक एकीकरण की कल्पना का साकार होना अब असम्भव नहीं दीखता था ।
1815 ई. में नेपोलियन की पराजय के बाद इटली के राजा मुरत (जो नेपोलियन का बहनोई था) ने अपने अन्तर्गत समग्र इटली को एक करने की कल्पना की थी । 1815 ई. में यूनियन ऑफ इटली (इटालवी संघ) की घोषणा भी उसने कर दी ।
तबतक नेपोलियन का सितारा अस्त हो चुका था । मुरत भी पराजित हुआ तथा उसका वध कर दिया गया । किंतु इटली का यह क्षणभंगुर एकीकरण इटालवी बुद्धिजीवियों के लिए एक प्रेरणास्रोत बन गया ।
इटली में अनेक ऐसे भी लोग थे, जो आरम्भ से ही फ्रांसीसी शासन के विरोधी थे । उनका राष्ट्रवाद क्रांतिकारी रंग से रंजित था । वे जानते थे कि फ्रांसीसी शासन को जबतक उखाड़ नहीं फेंका जाता, तबतक उनका लक्ष्य हासिल नहीं होनेवाला था ।
सत्ता से जुड़े लोग इनका विरोध करते थे और शासनतन्त्र उनका दमन करता था । उग्र राष्ट्रवादियों ने गुप्त क्रांतिकारी दलों की स्थापना की जिनमें सर्वप्रमुख था कारबोनरी । नेपोलियन के काल में और उसके कई वर्षों बाद तक यह संगठन इटली में काफी सक्रिय रहा ।
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