Hindi, asked by sunitabattise1972, 20 hours ago

इटली में कोई संजीवनी नही रखी हुई है जो नुरेन चमत्कार दिखाएगी ।उक्त कायन का अशय स्पष्ट करें। - - ​

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Answered by ankitabareth200787
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Answer:

कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद द्‌वारा रचित पुत्र-प्रेम कहानी में पिता-पुत्र के वास्तविक और अवास्तविक प्रेम को उजागर करने की कोशिश की गई है। प्रेमचंद जी ने अपनी रचनाओं में समाज के यथार्थ रूप का चित्रण किया है। इनकी रचनाओं में हिंदी, उर्दू शब्दों का बाहुल्य है। गोदान,रंगभूमि, कर्मभूमि आदि रचनाएँ इनके द्‌वारा रचित है।

चैतन्यदास पुत्र-प्रेम कहानी के प्रमुख पात्र थे। वे अर्थशास्त्र के ज्ञाता और उसका अपने जीवन में व्यवहार करने वाले थे। वे वकील थे, दो-तीन गाँवों में उनकी जमींदारी थी।

चैतन्यदास के दो पुत्र थे। बड़ा पुत्र प्रभुदास और छोटा शिवदास था।

चैतन्यदास प्रभुदास से ज्यादा स्‍नेह करते थे। प्रभुदास में सदुत्साह की मात्रा ज्यादा थी और पिता को उसकी जात से बड़ी-बड़ी आशाएँ थी। वे उसे विद्‌योन्‍नति के लिए इंग्लैंड भेजना चाहते थे। उसे बैरिस्‍टर बनाना चाहते थे जिससे उनके खानदान की मर्यादा और उनका ऐश्‍वर्य बना रहे। यही कारण था कि वे उससे ज्यादा स्‍नेह करते थे।

चैतन्यदास ने अपने पुत्र प्रभुदास के इलाज के लिए डाक्टर के सुझाव पर भी इटली के किसी सेनेटोरियम में भेजना उचित नहीं समझा क्योंकि वहाँ भेजने पर भी वे पूरी तरह वहाँ से ठीक होकर आएँगे, यह निश्‍चित रूप से नहीं कहा जा सकता था। उन्हें लगा कि जब यह जरुरी नहीं है कि वे ठीक होंगे ही तब इस पर रुपया खर्च करना व्यर्थ है। स्वयं उन्हीं के शब्दों में-

‘इतना खर्च करने पर भी वहाँ से ज्यों के त्यों लौट आये तो ?’

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