इतने ऊंचे उठो का भावार्थ
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कविता 'इतने ऊँचे उठो' का सप्रसंग भावार्थ इतने ऊँचे उठो कि जितना उठा गगन है। इतने शीतल बहो कि जितना मलय पवन है॥ ... अर्थ: प्रस्तुत पद्य पंक्तियों में कवि कहते हैं कि हमें नए समाज निर्माण में अपनी नई सोच को जाति, धर्म, रंग-द्वेष आदि जैसे भेदभावों से ऊपर उठकर सभी को समानता की दृष्टि से देखना चाहिये
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