Hindi, asked by ekta0yadav00, 11 months ago

Itne unche utho Kavita mein Nutan sawar Dene ki baat kisne Kahi gai hai

Answers

Answered by js403730
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इतने ऊँचे उठो कि जितना उठा गगन है।

देखो इस सारी दुनिया को एक दृष्टि से

सिंचित करो धरा, समता की भाव वृष्टि से

जाति भेद की, धर्म-वेश की

काले गोरे रंग-द्वेष की

ज्वालाओं से जलते जग में

इतने शीतल बहो कि जितना मलय पवन है॥

नये हाथ से, वर्तमान का रूप सँवारो

नयी तूलिका से चित्रों के रंग उभारो

नये राग को नूतन स्वर दो

भाषा को नूतन अक्षर दो

युग की नयी मूर्ति-रचना में

इतने मौलिक बनो कि जितना स्वयं सृजन है॥

लो अतीत से उतना ही जितना पोषक है

जीर्ण-शीर्ण का मोह मृत्यु का ही द्योतक है

तोड़ो बन्धन, रुके न चिन्तन

गति, जीवन का सत्य चिरन्तन

धारा के शाश्वत प्रवाह में

इतने गतिमय बनो कि जितना परिवर्तन है।

चाह रहे हम इस धरती को स्वर्ग बनाना

अगर कहीं हो स्वर्ग, उसे धरती पर लाना

सूरज, चाँद, चाँदनी, तारे

सब हैं प्रतिपल साथ हमारे

दो कुरूप को रूप सलोना

इतने सुन्दर बनो कि जितना आकर्षण है॥

Answered by jayathakur3939
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इस कविता में कवि नें नूतन स्वर देने की बात कही है |

कविवर कहते हैं कि -मनुष्य को सारे भेदभाव ,जाति – धर्म ,रंग द्वेष और ईर्षा आदि से उपर उठकर सच्चा इंसान बनने की प्रेरणा दी गई है |कवि समाज की पुरानी परम्पराओं को छोड़कर नवीनता का संचार करना चाहता है | वह एक नई शुरुआत करके समाज का निर्माण करना चाहता है | हमें अतीत से उतना ही ग्रहण करना चाहिए जिसमें समाज का भला हो | हमें धरती को स्वर्ग अनने की कोशिश करते रहते रहना चाहिए | यदि हम कोशिश करेंगे ,तो प्रकृति भी हमारा साथ देगी | हमें एक सुंदर समाज का निर्माण करने में अवश्य ही सफलता प्राप्त होगी |

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