IV. भावार्थ लिखिए ।
नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है,
चढ़ती दीवारों पर सौ बार फिसलती है।
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है,
चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है।
आखिर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती,
कोशिश करनेवालों की कभी हार नहीं होती।
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कवि यह कहना चाहता है की
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जब एक चींटी सौ बार कोशिश कर सकती है तो हम तो उससे बड़े प्राणी है तो हम कोशिश क्यों नहीं कर सकते है कोशिश करनेवाला हमेशा सफल होता है वह हारता नहीं h
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