Hindi, asked by bhartimukesh2002, 3 months ago

(iv)
"फिर भी रोता ही रहता है
नहीं मानता है मन मेरा
बड़ा जटिल नीरस लगता है
सूना सूना जीवन मेरा ।"​

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Answered by shishir303
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फिर भी रोता ही रहता है

नहीं मानता है मन मेरा

बड़ा जटिल नीरस लगता है

सूना सूना जीवन मेरा ।

➲ यह पंक्तियां सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा रचित ‘पुत्र वियोग’ नामक कविता की पंक्तियां हैं, इन पंक्तियों के माध्यम से कवयित्री पुत्र वियोग से व्यथित अपने मन की पीड़ा को व्यक्त कर रही है।

✎.... पुत्र वियोग से व्यथित कवयित्री अपने मन की पीड़ा को व्यक्त करते हुए कहती है कि यह जानते हुए भी कि उसका पुत्र मृत्यु को प्राप्त हो गया है और अब कभी वापस नहीं आएगा, फिर भी उसका ह्रदय अपने पुत्र की याद को याद करके हमेशा रोता रहता है। उसका हृदय यह मानने को तैयार नहीं कि उसका पुत्र उसे छोड़कर सदैव के लिए चला गया है। कवयित्री को अपना जीवन बेहद निराश और सूना-सूना लगता है। उसके जीवन से सभी राग-रंग दूर हो गए हैं और उसके जीवन में अब केवल पीड़ा ही पीड़ा है।

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