(iv) जुगाली करने वाले निगली हुई घास को पुनः अपने मुख में लाकर धीरे-धीरे चबाते हैं।
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निगले हुए खाने को (जुगाल) ये पुनः मुँह में लाकर चबाते रहते हैं। आपने यह देखा होगा कि जब वे खा नहीं रहे होते हैं तब भी उनका मुख चलता रहता है। इस प्रक्रिया को जुगाली या पागुर कहते हैं । इन जन्तुओं में सेलुलोज का पाचन कुछ जीवाणुओं की सहायता से होता है।
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निगले हुए खाने को (जुगाल) ये पुनः मुँह में लाकर चबाते रहते हैं। आपने यह देखा होगा कि जब वे खा नहीं रहे होते हैं तब भी उनका मुख चलता रहता है। इस प्रक्रिया को जुगाली या पागुर कहते हैं । इन जन्तुओं में सेलुलोज का पाचन कुछ जीवाणुओं की सहायता से होता है।
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