(iv) "कि हर वो आदमी जो मेहनतकश लोहा है हर वो औरत दबी सताई बोझ उठाने वाली, लोहा ।"
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कि हर वो आदमी
जो मेहनतकश लोहा है,
हर वो औरत दबी सताई
बोझ उठाने वाली, लोहा ।
भावार्थ : कवि ‘विनोद कुमार शुक्ल’ द्वारा रचित कविता ‘प्यारे नन्हे बेटे’ की इन पंक्तियों का भावार्थ यह है कि कवि का कहना है कि लोहा कठोर तत्व है, जो शक्ति का प्रतीक भी है और मेहनतकश आदमी तथा दबी सताई जाने वाली हर स्त्री के जीवन में लोहा संघर्ष का प्रतीक बनकर बन जाता है। जिस तरह लोहा कठोर है उसी तरह मेहनतकश आदमी और दबी सताई बोझा उठाने वाली औरत का जीवन भी और लोहे के समान ही कठोर और संघर्षों से भरा है, जो अपने कठोर श्रम के बल पर और अपने संघर्ष के बल पर निर्माण का कार्य करते हैं, स्वयं को लोहे की तरह अलग-अलग रूपों में ढालते है।
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