Hindi, asked by batrajannat, 5 months ago

(iv) रहते हुए तुमसा सहायक प्रण हुआ पूरा नहीं,
इससे मुझे है जान पड़ता भाग्य बल ही सब कहीं।
जलकर अनल में दूसरा प्रण पालता हूँ मैं अभी,
अच्युत युधिष्ठिर आदि का अब भार है तुम पर सभी।।
-मैथिलीशरण गुप्त
इसमें कौन सा रस है?​

Answers

Answered by bhatiamona
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रहते हुए तुमसा सहायक प्रण हुआ पूरा नहीं,

इससे मुझे है जान पड़ता भाग्य बल ही सब कहीं।

जलकर अनल में दूसरा प्रण पालता हूँ मैं अभी,

अच्युत युधिष्ठिर आदि का अब भार है तुम पर सभी।।

-मैथिलीशरण गुप्त

निम्नलिखित पंक्तियों में वीर रस है |

वीर रस में स्थायी भाव उत्साह होता है इस रस में  जब युद्ध अथवा कठिन कार्य को करने के लिए मन में जो उत्साह की भावना होती है |

जंहा पे विषय और वर्णन में उत्साह युक्त वीरता के भाव को प्रदर्शित किया जाता है वंहा वीर रस होता है |  

वीर रस के चार भेद है युद्वीर , धर्मवीर , दानवीर , दयावीर है |  वीर रस  में इसमें शत्रु पर विजय प्राप्त करने, यश प्राप्त करने आदि प्रकट होती है |

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