(iv) सूरदास ने राधा के चरणों को क्या कहा है?
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भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी को एक-दूसरे का पूरक कहा गया है. कृष्ण से जुड़े किसी भी ग्रंथ में राधा का प्रसंग, भगवान के लीलाधर रूप को संपूर्ण बनाता है. कृष्ण और राधा के आध्यात्मिक प्रेम को हिन्दू शास्त्रों में सौंदर्य और श्रृंगार से ज्यादा, भक्तिपूर्ण बताया गया है. भक्तिकाल के प्रसिद्ध कवि सूरदास ने कृष्ण और राधा के संबंध को लोक से परे लोकोत्तर बताया है. सूरदास के लेखन में राधा, प्रेम-प्रतिमा और प्रेम-प्रतीक के रूप में हमारे सामने आती हैं. सूरदास ने राधा को अद्भुत सौंदर्य का धनी और मोहक लावण्य से भरी हुई भगवान की प्रेयसी के रूप में वर्णित किया है. बृजभूमि में भगवान श्रीकृष्ण और गोपियों के बीच होने वाली रास-लीला में सूरदास ने राधा को मूल क्रियाशक्ति बताया है. राधा की इन्हीं विशेषताओं के कारण उन्हें कई नामों से जाना जाता है. यूं तो राधा रानी के अनगिनत नाम हैं, लेकिन आज राधाष्टमी पर आइए जानते हैं राधा के कुछ प्रमुख नामों के बारे में.
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