इयूरोसाईल ने विशेष अध्ययन किया है
(अ) आनन्द मन्दिर का
(ब) अंगकोर वाट मन्दिर का
(स) बरोबोदूर
(द) लोरो-जंगरंग मन्दिर का
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इस प्रश्न का सही उत्तर होगा विकल्प...
(अ) आनन्द मंदिर
इयूरोसाईल नाम के विद्वान ने वर्मा (म्यानमार) के बगान नगर में स्थित ‘आनंद मंदिर’ के बारे में विशेष अध्ययन किया। इयूरोसाईल ने माना कि आनंद मंदिर जोकि वर्मा की राजधानी रंगून में स्थित है। उसके बावजूद उसकी स्थापत्य कला भारतीय शैली की है। इसका कारण यह रहा कि जिन वास्तुकार ने इस मंदिर को डिजाइन किया था, वह भारतीय थे। इस मंदिर के अंदर लगी पत्थर की सारी मूर्तियां, उनके सिंहासन, गलियारों में लगे मिट्टी के फलक आदि सब भारतीय शैली में बने हुए हैं। इसलिए इयूरोसाईल का मत है कि आनंद मंदिर भले ही बर्मा (म्यानमार) में है लेकिन यह पूर्ण पूरी तरह भारतीय मंदिर नजर आता है।
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विकल्प (ए) आनंद मंदिर सही उत्तर है
Explanation:
- आनंद मंदिर पूरी तरह से शैलीगत संरचना है, जो सोम और भारतीय स्थापत्य शैली का एक संलयन है और यह पगान घाटी में बना केंद्रीय स्मारक है।
- यह थेरवाद बौद्ध धर्म के धार्मिक लोकाचार में क्षेत्र के लोगों को शिक्षित करने के मुख्य उद्देश्य के साथ पत्थरों और पट्टिकाओं (टेरा-कोट्टा ग्लेज़्ड टाइल) में आइकॉनिक छवियों को दर्शाती ईंटों और प्लास्टर के साथ बनाया गया है।
- यह एक बौद्ध मंदिर है जो 12 वीं शताब्दी की शुरुआत में बनाया गया था।
- यह पूरे बागान क्षेत्र का दूसरा सबसे बड़ा मंदिर है।
- भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने इस मंदिर का संरचनात्मक संरक्षण और रासायनिक संरक्षण कार्य किया है। पिछले साल भूकंप के दौरान क्षति के बाद बहाली का काम किया जा रहा है।
- यूरोसाइल ने बगान शहर के वर्मा (म्यांमार) में स्थित 'आनंद मंदिर' के बारे में एक विशेष अध्ययन प्रस्तुत किया है। यूरोसिल का मानना था कि आनंद मंदिर जो वर्मा की राजधानी रंगून में स्थित है।
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