इयं वीरभोग्या तथा कर्मसेव्या
जगद्वन्दनीया च भूः देवगेया।
सदा पर्वणामुत्सवानां धरेयं
क्षितौ राजते भारतस्वर्णभूमिः॥
शब्दार्थ : इयम्-यह। वीरभोग्या-वीरों द्वारा भोगने योग्य। कर्मसेव्या-श्रेष्ठ कर्मों से सेवा के योग्य। जगद्वन्दनीया-संसार द्वारा वन्दना के योग्य। भूः-धरती। देवगेया-देवों द्वारा गाने योग्य। पर्वणाम्-पर्वो की (त्योहारों की)। उत्सवानाम्-उत्सवों की। धरा-धरती।
सरलार्थ : यह (भारतभूमि) वीरों के द्वारा भोगने योग्य तथा श्रेष्ठ कर्मों के द्वारा सेवा के योग्य, संसार के द्वारा वन्दनीय और देवों द्वारा गाने योग्य भूमि है। यह धरती सदा पर्वो और उत्सवों की धरा रही है। अत: भारत की स्वर्णभूमि धरती पर शोभा पाती है।
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bro I don't know this answer
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Thanks but can you share the another paragraph and its meaning as well
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These are the 2 paragraphs which I have to sing tommorow can you tell me the meaning of other para as well
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